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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आखिर क्यों किया खीर भवानी मंदिर का दौरा

खीर भवानी मंदिर एक ऐसा मंदि है जिसमें बना कुंड भआरत में प्राकृतिक आपदा आने के संदेश देता है, ये मंदिर कश्मीर के श्रीनगर के तुलमूल इलाके में स्थित है, कहते है कि कोई भी इस मंदिर में हथियार लेकर नहीं जाता है, क्योंकि एक बार इस मंदिर में एक फौजी हथियार लेकर घुस गया था तो उसका सिर बाहर और धड़ अंदर मिला था, जिसके बाद इस मंदिर में कोई भी हथियार लेकर नहीं आता है ये मंदिर कई ऐसे रहस्य आज भी समेटे हुए है जिन्हें कोई भी सुलझा पाया है, और यही वजह है कि आज भी कश्मीरी इस मंदिर को बहुत मानते है वहीं 20 मई को भी कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मंदिर का दौरा किया और देश की शांति की भी कामना की.

पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से जम्मू-कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में गिरावट आई है वो आप देख ही सकते है किस तरह से पहलगाम हमले के बाद लोग जम्मू-कश्मीर के नाम से ही घबरा रहे है, इसी को लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खीर भवानी मंदिर पहुचें और एकता का ऐसा संदेश दिया है जिसे सुनकर आपका भी दिल बाग-बाग हो जाएगा.

आपको पता ही होगा की जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं का इतिहास करीब 5 हजार साल पुराना रहा है लेकिन अब आपको जम्मू कश्मीर में बस कुछ ही हिन्दु परिवार देखने को मिलेंगे ऐसा क्यों ? ऐसा इसलिए है क्योंकि जम्मू कश्मीर का इतिहास रहा है वहां सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडितों को ही अत्याचार झेलना पड़ा है. उन पर कई जुर्म किये गये, कइयों को तो धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर कर दिया लेकिन जो धर्म परिवर्तन न कर सकें. वो कश्मीर छोड़कर जाने पर मजबूर हो गये, इतना ही नहीं मुगल आए तो उन्होंने यहां के कई मंदिरों को नुकसान पहुंचाया लेकिन खीर भवानी मंदिर का कोई बाल भी बाकां नहीं कर सका. जी हां खीर भवानी मंदिर कई सौकड़ों सालों से आज भी सीना ताने खड़ा है, ये मंदिर कितना रहस्यमयी है आप इस बात का अंदाजा बस इसी बात से लगा सकते है कि इस मंदिर में बना कुंड भारत पर आने वाली प्राकृतिक आपदा के आने का संकेत देता है, और कहा तो ये भी जाता है कि एक बार इस मंदिर में एक फौजी हथियार लेकर घुस गया था तो उसका सिर बाहर और धड़ अंदर मिला था, जिसके बाद इस मंदिर में कोई भी हथियार लेकर नहीं आता है. साथ ही इस मंदिर को कश्मीरी लोग भी बहुत मानते है और इसलिए जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी 20 मई को इस रहस्यमयी मंदिर पहुंचे, जिसके बाद उन्होंने मां राग्न्या देवी की पूजा-अर्चना की, जल चढ़ाया, फूल अर्पित किये, और ध्यान से मंत्रोच्चारण भी सुना, साथ ही उन्होंने देश में शांति की कामना भी की.
  
वहीं आपको बता दें कि उमर अब्दुल्ला पहले भी कई बार मां खीर भवानी के मंदिर में आये है, लेकिन इस बार वो पहलगाम हमले के बाद देश में जो अशांति फैली उसे शांत करने के लिए आये, इसके अलावा उन्होंने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए एक बयान के माध्यम से कहा था कि आज राज्य की आर्थिक स्थिति से ज्यादा आतंकवाद को खत्म करना जरुरी है, हमारा फोकस अभी आर्थिक आंकड़ों पर नहीं बल्कि आतंकवाद के खात्मे पर है और इसके लिए हम भारत सरकार के साथ खड़े है.

साथ ही उन्होंने आपरेशन सिंदूर की सफलता की भी सरहाना की, और बताया कि वो राज्य में पर्यटन को फिर से जीवित करने की कोशिश करेंगे. वहीं उन्होंने अमर नाथ यात्रा से लेकर वैष्णो देवी यात्रा तक भरोसा दिलाया है कि सरकार यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है. ताकि देश के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालु बिना डरे अमरनाथ और वैष्णों देवी यात्रा पर जा सकें, लेकिन आपको क्या लगता है क्या पहलगाम हमले के बाद कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में बिना डरे घूम सकता है, क्या फिर से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम जैसे हिस्सों में पर्यटन बढ़ेगा.

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