मौत से क्या है गंगा दशहरा का रिश्ता? जानें इस बार क्यों है खास
गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी. इस दिन को गंगावतरण भी कहते हैं. गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है. जो हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है.
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कहा जाता है जब-जब पृथ्वी पर पाप बढ़ता है, तब स्वर्ग भी रास्ता खोजता है मानवता के उद्धार का और गंगा उसका जीवीत प्रमाण है. गंगा दशहरा वो दिन है, जब पुण्य की धारा ने स्वर्ग से धरती पर कदम रखा था. एक पवित्र आगमन, जिसने करोड़ों को मोक्ष की राह दिखाई. गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी. इस दिन को गंगावतरण भी कहते हैं. गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है. जो हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सबके पाप धुलते हैं और शायद इसीलिए भी इसे गंगा दशहरा कहा जाता है. तो चलिए जानते हैं साल इस साल गंगा दशहरा कब है,और स्नान दान का शुभ समय क्या है. मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण करने का जश्न इस दिन मनाया जाता है. इस साल गंगा दशहरा 5 जून को मनाया जाएगा. इस दिन गंगा किनारे कई जगहों पर बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं. अलग-अलग स्तानों पर अलग-अलग तरीके से पर्व को मनाया जाता है.
क्या है गंगा दशहरा की तिथि
गंगा दशहरा 2025 के दिन दशमी तिथि पर 4 जून 2025 को रात 11:54 बजे से आरंभ होगी और 5 जून 2025 को रात 2:15 बजे पर समाप्त होगी. तिथि का असर 5 जून को रहेगा, इसलिए गंगा दशहरा का पर्व 5 जून 2025, गुरुवार के दिन श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाएगा.
स्नान और दान का शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:02 से 4:43 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:52 से 12:48 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:39 से 3:34 बजे तक
अमृत काल: रात 11:49 से अगले दिन 1:37 बजे तक
क्या है स्नान और दान का महत्व?
गंगा के धरती पर अवतरण के इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ती पा जाता है. मोक्षदायिनी गंगा में स्नान और पूजा करने से व्यक्ति के पितरों को भी मोक्ष और शांति मिलती है. गंगा दशहरा पर गंगा में स्नान, पूजा और दान करने का विधान है. मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन किए गए दान पुण्य दस गुना अधिक फल देते हैं. गंगा दशहरा पर गंगा नदी में दीप दान करना चाहिए. मगर, कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनका इस दिन भूलकर भी दान नहीं करना चाहिए. जैसे टूटी हुई या धारदार चीज़, काली चीज़ या दाल, गंगा दशहरा पर क्या है उपाय?
उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से घर में लक्ष्मी आती है. तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य देने से कारोबार में सफलता मिलती है.गरीबों को मिट्टी के कलश में जलदान करने से आर्थिक परेशानी दूर होती है. इस दिन गंगा जल से घर का शुद्धिकरण ज़रूर करें. इससे घर में सुख-शांती बनी रहती है. मान्यता है कि गंगा दशहरा हर साल ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा मां स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुईं. यह दिन सिर्फ पवित्र स्नान का नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और पुनर्जन्म की कामना का पर्व है. जिससे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग जगहों में अलग तरीकों से मनाया जाता है. आइए जानते हैं…
1. वाराणसी
गंगा आरती की ध्वनि से गूंजता वाराणसी का आकाश... यहां गंगा दशहरा एक महाउत्सव बन जाता है. भक्ति, दीप, धूप और मंत्रों का सम्मोहन है हर कोई इस दिव्यता में खो जाना चाहता है. वाराणसी गंगा दशहरा 2024 मनाने के लिए सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में से एक है. भक्त गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के लिए घाटों पर इकट्ठा होते हैं,
2. हरिद्वार
हरिद्वार गंगा दशहरा मनाने वाले स्थानों में से एक प्रमुख स्थान है. हां हज़ारों श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं और गंगा माँ से जीवन की शुद्धि का वर मांगते हैं.कई भक्त त्योहार के दौरान गरीबों को भोजन कराने जैसे दान-पुण्य भी करते हैं.
3. ऋषिकेश
जहां भक्ति और ध्यान साथ बहते हैं जगह ऋषिकेश है. गंगा दशहरा के मौके पर यहां ध्यान, योग, आरती और नदी से जुड़ाव एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव बन जाते हैं. यहां पर्मार्थ निकेतन आश्रम पर एक सुंदर गंगा आरती समारोह का आयोजन भी होता है.
4. प्रयागराज
प्रयागराज में जहां गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती हैं, वहां हर डुबकी मोक्ष का अहसास देती है. सत्संग, भजन और घाटों पर कीर्तन यहां की भक्ति त्रिवेणी जैसी बहती है. ऐसे में गंगा दशहरा पर यहां का नजारा दिव्य और भव्य होता है. कई भक्त त्योहार के दौरान गरीबों को भोजन कराने जैसे दान-पुण्य भी करते हैं.
5. कानपुर
कानपुर के घाटों पर भक्ति की लहरें उमड़ती हैं. पूजा-पाठ के साथ भोजन वितरण, मूर्ति विसर्जन और सांस्कृतिक कार्यक्रम इसे और भी खास बनाते हैं.भक्त घाटों पर, खासकर सती चौरा घाट पर, विशेष पूजा करने और नदी से प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा होते हैं. वे जुलूस और प्रार्थना सभाएँ आयोजित करते हैं, देवताओं की छवियों और मूर्तियों को नदी में ले जाते हैं. तो गंगा दशहरा सिर्फ एक पर्व नहीं, एक अनुभूति है अपने पापों से मुक्ति की, जीवन की शुद्धता की और आत्मा के कल्याण की. इस बार आइए, गंगा के उस रूप को महसूस करें, जिसने युगों से भारत की आत्मा को गीला रखा है श्रद्धा के जल से.
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