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देवी निरई का रहस्यमयी मंदिर: महिलाओं की एंट्री है वर्जित, साल में एक दिन खुलने पर होते हैं दिव्य चमत्कार

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है. भक्त मंदिरों में देवी पूजन के लिए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ में एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर है जहां महिलाओं का जाना वर्जित है. इतना ही नहीं ये मंदिर पूरे साल भर बंद रहने के बाद सिर्फ एक दिन के लिए खोला जाता है.

नवरात्रि एक ऐसा पर्व है जिसमें मां दुर्गा के कई मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. भक्त कई शक्तिपीठों में भी मां के दर्शन के लिए जाते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के मगरलोड ब्लॉक में ऐसा प्राचीन मंदिर है जो शारदीय नवरात्रि के दिनों में भी नहीं खुलता है. मंदिर की खास बात यह है कि पूरे साल भर बंद रहने के बाद यह सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है. अब वह कौन सा दिन है जब यह मंदिर खुलता है? खुलने के बाद क्या चमत्कार होता है? और सबसे बड़ी बात कि मां के ही मंदिर में महिलाओं की एंट्री बैन क्यों है? आइए जानते हैं.

यह मंदिर निरई माता के नाम से जाना जाता है. पूरे साल भर बंद रहने के बाद यह मंदिर सिर्फ 5 से 7 घंटों के लिए चैत्र नवरात्रि के दौरान खुलता है. शारदीय नवरात्रि में भी मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. पहाड़ियों पर बसे इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बिना सीढ़ियों से होकर गुजरना पड़ता है. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन इस मंदिर के कपाट खुलते हैं, उस दिन हजारों की संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन अब ऐसे में सवाल उठता है कि यहां महिलाओं की एंट्री क्यों बैन है?

मंदिर में महिलाओं की एंट्री क्यों बैन है? 

निरई माता का मंदिर इसलिए भी रहस्यमयी है क्योंकि इस मंदिर में महिलाओं की एंट्री वर्जित है. महिलाओं को मंदिर से दूर रहने की सलाह दी जाती है और वे मंदिर का प्रसाद तक ग्रहण नहीं कर सकतीं. ऐसा इसलिए है क्योंकि मान्यता है कि अगर कोई महिला मंदिर का प्रसाद भी ग्रहण करती है, तो उसके और उसके परिवार के साथ अनहोनी होना तय है.

मंदिर में कोई मूर्ति क्यों नहीं है?

मंदिर में कोई मूर्ति या तस्वीर नहीं है. श्रद्धालु एक विशेष स्थान पर पूजा-अर्चना करते हैं और मां को नारियल भेंट करते हैं. लोगों का मानना है कि मंदिर ही मां का निवास स्थान है, इसलिए किसी मूर्ति की जरूरत नहीं है.

मंदिर में जलने वाली दिव्य ज्योति का रहस्य

इतना ही नहीं, चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मंदिर में ज्योति भी जलती है, वह भी बिना तेल और घी के. लोगों की मान्यता है कि मंदिर बंद होने के बाद भी लगातार नौ दिनों तक ज्योति जलती रहती है, यही मां निरई का चमत्कार है. अब ज्योति कैसे जलती है, कौन उसे जलाता है, यह आज तक रहस्य बना हुआ है.

मां देती हैं संतान होने का आशीर्वाद

मान्यता है कि अगर किसी को संतान नहीं हो रही है, तो वह माता के मंदिर में अर्जी लगा सकता है. मंदिर में विशेष मौके पर बलि प्रथा भी थी, लेकिन अब भक्त नारियल अर्पित कर भी मनोकामना मांगते हैं.

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