देवभूमि हिमाचल से हुई भयभीत कर देने वाली भविष्यवाणी, दैवीय प्रकोप के संकेत
देवभूमि से हुई देवता की भविष्यवाणी को अगर नज़रअंदाज़ किया गया और समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो मोदी 3.0 की सरकार में आम जनमानस को दैवीय प्रकोप झेलना पड़ सकता है. हिमाचल की धरती से आई इस दैवीय भविष्यवाणी को सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों हो गए चौकन्ना और भौचक्के. जानिए इसी पर आधारित हमारी आगे की विशेष रिपोर्ट.
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रूस में आए भीषण भूकंप के बाद सुनामी ने जापान में मौत का तांडव मचाना शुरू कर दिया है. आसमान को छूती सुनामी की लहरें बर्बादी का मंजर दिखा रही हैं. हालात इतने भयावह हैं कि न सिर्फ़ जापान, बल्कि रूस के कई इलाक़ों में आपातकाल लागू हो चुका है. आलम ये है कि ख़तरे की इस चपेट में अमेरिका भी है. लेकिन क्या आप जानते हैं, विदेशी धरती पर प्राकृतिक आपदाओं ने जो विध्वंस मचाया हुआ है, उसके निशान भारत की धरती पर भी देखने को मिल सकते हैं. देवभूमि से हुई देवता की भविष्यवाणी को अगर नज़रअंदाज़ करेंगे और समय रहते उचित कदम नहीं उठाएँगे, तो फिर मोदी 3.0 की सरकार में आम जनमानस को दैवीय प्रकोप झेलना पड़ सकता है. हिमाचल की धरती से हुई दैवीय भविष्यवाणी को सुनकर चौकन्ना पीएम मोदी भौचक्का क्यों रह गए? इसी पर देखिए हमारी आगे की ये रिपोर्ट.
जो समावेशी सनातन का आधार है, वह पूरी तरह प्रकृति पर टिका है. इसी कारण अन्य धर्मों की तुलना में सनातन में प्रकृति को पूजनीय माना गया है. एक तरफ़ जहां पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को पञ्चभूत देवता का दर्जा दिया गया है, वहीं सूर्य को ग्रहों का राजा बताकर जगत की आत्मा कहा गया है. चंद्रमा को मन और माता का कारक माना गया है. पहाड़ों की देवभूमि को 33 कोटी देवी-देवताओं का ठिकाना माना जाता है. तीनों लोकों के स्वामी महादेव हिमालय में वास करते हैं. और जहां शिव हैं, वहीं शक्ति भी है. इसलिए पहाड़ों की चोटियों पर शक्तिपीठों के दर्शन होते हैं. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड भारत के दो ऐसे राज्य हैं जो ना सिर्फ़ प्राकृतिक संपदा से भरपूर हैं, बल्कि दैवीय शक्तियों के भी केंद्र हैं. चामुंडा देवी, नैना देवी, चिंतपूर्णी, हडिम्बा और भीमाकाली का दिव्य धाम इसका बड़ा उदाहरण हैं. इन दोनों पहाड़ी राज्यों की दैवीय संस्कृति एक जैसी है. इसी कारण शक्तिपीठों से पटी देवभूमि आज भी भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत देती है. यहां बाकायदा देवताओं का आह्वान किया जाता है. आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि पहाड़ी वासियों के एक बुलावे पर देवता न सिर्फ़ प्रकट होते हैं, बल्कि भविष्य में होने वाली घटनाओं की सांकेतिक भविष्यवाणियाँ भी करते हैं. इसका ताज़ा उदाहरण हिमाचल प्रदेश के धार क्षेत्र में आयोजित 'धारा रा काहिका' उत्सव है. इसी उत्सव में माता फुंगणी की भविष्यवाणी ने आम जनमानस को भविष्य को लेकर बड़ी चेतावनी दी है.
हिमाचल का कुल्लू और मंडी जिला और इनकी सीमा पर स्थित धार क्षेत्र, जहां प्रतिवर्ष सावन के इसी महीने में ‘धारा रा काहिका’ नाम का उत्सव मनाया जाता है. यह उत्सव धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है. इसी कारण इस मेले से स्थानीय लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. इस उत्सव में देवताओं की पूजा होती है. यहां की माता फुंगणी, देवता पंचाली नारायण और दलीघाट की माता की पूजा की जाती है. इस पूजन समारोह में पुरोहितों की मौजूदगी में स्थानीय नागरिकों द्वारा विधिपूर्वक अनुष्ठान किए जाते हैं. इन्हीं पुरोहितों के माध्यम से देवता अपनी बात आम जनमानस के सामने रखते हैं. इस बार के उत्सव में माता फुंगणी द्वारा विनाश के संकेत मिले हैं. पुरोहित के माध्यम से माता ने यह स्पष्ट किया है कि अगर पवित्र स्थलों से छेड़छाड़ बंद नहीं की गई, तो जनता को दैवीय प्रकोप भुगतना पड़ेगा. 2013 की केदारनाथ त्रासदी को भुला पाना मुमकिन नहीं है. इस आपदा के पीछे भले ही कई कारण गिनाए जाते हों, जैसे भारी बारिश के बीच बादल फटना, चौराबाड़ी ग्लेशियर झील का टूटना, मंदाकिनी नदी में बाढ़ और भूस्खलन. लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि केदारघाटी में बढ़ती मानवीय गतिविधियों के कारण भी देवता का प्रकोप हज़ारों ज़िंदगियों पर भारी पड़ा. देवभूमि के कण-कण में देवता अपनी जागृत अवस्था में विद्यमान हैं. इसलिए देवभूमि से जुड़ी किसी भी पवित्रता में की गई छेड़छाड़ दैवीय प्रकोप का कारण बन सकती है.
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