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पाक आर्मी चीफ़ की धार्मिक राजनीति पर उठे सवाल, अमेरिका को दिया चौंकाने वाला ऑफर

बलूचिस्तान खुद के लिए आज़ादी की मांग कर रहा है. लेकिन यहां तो हिंगलाज शक्ति पीठ से भयभीत रहने वाली पाकिस्तान आर्मी पूरे बलूचिस्तान को ही अमेरिका के हाथों सौंपने के लिए तैयार है. क्या है ये पूरा मामला, आइए आपको बताते हैं.

बलूचिस्तान को लेकर पाक आर्मी चीफ के हालात इतने भयावह हैं कि उन्हीं के माथे का झूमर अब उनके गले का फंदा बन चुका है. ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब बलूचिस्तान की मिट्टी पर बमबारी ना हो. बलूच अलगाववादियों की बढ़ती ताकत पाक आर्मी पर भारी पड़ रही है. ऑपरेशन बाम के तहत बलूचिस्तान ने पाक जवानों का सफाया करना शुरू कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ बलूचिस्तान को चीन के हाथों गिरवी रख चुकी पाकिस्तानी हुकूमत और पाकिस्तान आर्मी, दोनों ही अब अमेरिका को एक नया प्रस्ताव दे रही हैं. आलम ये है कि खनिज संपदा की आड़ में पाकिस्तान अब अमेरिका को बलूचिस्तान बेचना चाह रहा है. बलूचिस्तान खुद के लिए आज़ादी की मांग कर रहा है. लेकिन यहां तो हिंगलाज शक्ति पीठ से भयभीत रहने वाली पाकिस्तान आर्मी पूरे बलूचिस्तान को ही अमेरिका के हाथों सौंपने के लिए तैयार है. क्या है ये पूरा मामला, आइए आपको बताते हैं.

साल 2016 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने बलूचिस्तान का ज़िक्र क्या किया, पाकिस्तानी हुकूमत का चेहरा लाल हो गया. ऐसा इसलिए क्योंकि 1947 से ही बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए एक नासूर बना हुआ है. आज बलूचिस्तान की हालत क्या है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाइए कि यहां की 46 फ़ीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जिंदगी गुज़ार रही है. प्राकृतिक संपन्नता होने के बावजूद यह पाकिस्तान का सबसे गरीब प्रांत है. यहां सेना अभियान चलाकर बलूच लोगों की आवाज़ दबाती है. ना ही मौलिक अधिकार हैं, ना ही विकास, ना ही सुरक्षा और ना ही सरकारी योजनाओं का लाभ. इन भयावह हालातों में रहते हुए भी बलूच लोग ना सिर्फ खुद को हिंगलाज माता की संतानें मानते हैं बल्कि 'भारत माँ की जय' बोलने से भी पीछे नहीं हटते. यहीं स्थित है मां हिंगलाज का वह धाम, जो स्वयं में एक शक्तिपीठ है. मान्यता है कि यहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का आगमन हुआ था. यही नहीं, भगवान परशुराम के पिता, गुरु गोरखनाथ, दादा मखान और गुरु नानक देव जी ने भी यहां तप साधना की थी. इसी कारण यहां शक्ति अपने जागृत रूप में स्थापित है. यही वजह है कि कट्टरपंथी हमलों के बावजूद नाथ संप्रदाय की कुलदेवी का यह धाम आज भी सुरक्षित है. नापाक इरादों के साथ जो कोई भी मां हिंगलाज की चौखट पर कदम रखता है, वह वहीं भस्म हो जाता है. पाकिस्तान की हुकूमत और सेना दोनों ही मां हिंगलाज शक्तिपीठ में कदम रखने से डरती हैं. इन्हीं सबको देखते हुए अब पाकिस्तानी आर्मी चाहती है कि इस इलाके में अमेरिकी निवेश आए.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थ भी बलूचिस्तान का यही शक्तिपीठ है. यहीं की धरती दुर्लभ खनिजों से संपन्न है. इसी खनिज संपदा के लालच में चालाक चीन बलूचिस्तान में 60 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुका है. उसका पूरा निवेश CPEC के तहत बुनियादी ढांचे और माइनिंग पर केंद्रित है. अब यह खबर आ रही है कि पाकिस्तानी आर्मी, अमेरिका को भी इसी कच्चे लालच में फंसाकर उसका करोड़ों का निवेश चाह रही है. पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों और संसद में नेताओं द्वारा दिए गए बयानों से यह संकेत मिला है कि अमेरिका बलूचिस्तान के खनिज क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रवेश (कमर्शियल एंट्री) चाहता है. हम सभी जानते हैं कि बलूचिस्तान की खनिज संपदा पर अमेरिका पहले से ही नजर रखे हुए है. बीते कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर के बीच एक मुलाकात हुई थी और इसी बैठक में बलूचिस्तान के खनिजों को लेकर चर्चा हुई.

हालांकि दूसरी तरफ अमेरिका यूक्रेन के साथ भी महत्वपूर्ण खनिजों के लिए 500 बिलियन डॉलर की डील पर चर्चा कर रहा है. इस डील का उद्देश्य लिथियम और अन्य संसाधनों को सुरक्षित करना है, जो अमेरिकी रक्षा प्रणालियों और इंडस्ट्रीज के लिए ज़रूरी हैं. मतलब ये कि अमेरिका के दोनों हाथों में लड्डू हैं. यूक्रेन पहले से ही अमेरिका के घुटनों पर है और अब पाकिस्तान भी प्राकृतिक संपदा का भंडार दिखाकर बलूचिस्तान को बेचने की कोशिश कर रहा है. बलूच आर्मी की बढ़ती ताकत और हिंगलाज शक्ति पीठ से जुड़ी हिंदुओं की आस्था से पाकिस्तान आर्मी टेंशन में है. अपनी इसी टेंशन को दूर करने के लिए अब वह बलूचिस्तान को बेचने या फिर गिरवी रखने का मूड बना चुकी है. लेकिन क्या उसके चाहने से आज का बलूचिस्तान खुद को अमेरिका के हाथों गिरवी होने देगा?

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