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शेर और शिकार के बीच हिंदू राष्ट्र पर पुरी शंकराचार्य की सबसे बड़ी सांकेतिक भविष्यवाणी!

एक बार फिर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज चर्चा में है। युद्ध विराम के पीछे की खामोशी अब कौन सा तूफ़ान लाने वाली है ? हिंदू राष्ट्र की डेडलाइन क्या कहती है ? अगर सभी के पूर्वज सनातनी थे, तो क्या आज का मक्का पहले का मक्केश्वर महादेव था ? …इन्हीं सवालों के चलते स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने सच का जो आईना दिखाने की कोशिश की है…देखिये हमारी आज की इस रिपोर्ट में.

अगर देश के प्रधानमंत्री को आँख दिखाने वाले बर्दाश्त नहीं, तो क्या आँख दिखाने वालों की आँखें नोच डाली जानी चाहिए ? आज ये सवाल इसलिए क्योंकि पुरी पीठ के शंकराचार्य ने पीएम मोदी को शेर बताया है और शिकार करना शेर की फ़ितरत में है. एक बार फिर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज चर्चा में है. युद्ध विराम के पीछे की खामोशी अब कौन सा तूफ़ान लाने वाली है ? हिंदू राष्ट्र की डेडलाइन क्या कहती है ? अगर सभी के पूर्वज सनातनी थे, तो क्या आज का मक्का पहले का मक्केश्वर महादेव था ? …इन्हीं सवालों के चलते स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने सच का जो आईना दिखाने की कोशिश की है.देखिये हमारी आज की इस रिपोर्ट में.

बिहार के दरभंगा मधुबनी में जन्में नीलाम्बर से हर कोई वाक़िफ़ नहीं हैं,  लेकिन नीलाम्बर से शंकराचार्य निश्चलानंद बनने की कहानी दुनिया की जुबान पर है. धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज की शरण में सन्यास ग्रहण करने वाले गोवर्धन मठ पुरी के 145 वें शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती धर्म के सर्वोच्च पद पर आसीन है और संत समाज से आने वाली अत्यधिक पूजनीय शख़्सियत , यहीं कारण है आम जनमानस उनके पद चिन्हों का अनुसरण करता है. आम से ख़ास हर कोई पुरी पीठ शंकराचार्य की कहीं बातों को कान लगाकर सुनता है. बीते दिनों पहली दफ़ा जब शंकराचार्य जी का पॉडकास्ट सामने आया, लोगों ने पुनः हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना करनी शुरु कर दी. ना सिर्फ़ हिंदू हिंदू राष्ट्र की डेडलाइन बता दी बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच खिंची गई युद्ध विराम रेखा का सच भी बता दिया. भारत-पाकिस्तान के सीजफायर को लगभग 60 दिन बीत चुके हैं, पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के रास्ते आतंकियों से बदला लिया गया..लेकिन जब सीजफायर की घोषणा हुई, तो विरोधियों ने पीएम मोदी की देशभक्ति पर सवाल उठना शुरु कर दिये थे. जिसका जवाब अब जाकर शंकराचार्य ने दिया है.

युद्ध विराम की घोषणा करने वाली मोदी सरकार ने साफ़ शब्दों में ये संकेत दिये कि अभी युद्ध ख़त्म नहीं हुआ है, मतलब युद्ध विराम के पीछे की खामोशी किसी बड़े तूफ़ान की संकेत है. तभी तो आज स्वामी निश्चलानंद सरस्वती पीएम मोदी की तुलना शेर से कर रहे हैं. वो ये मानते हैं कि भारत ने किसी के दबाव में आकर युद्ध विराम का फ़ैसला नहीं लिया है, जबकी ये पीएम मोदी की कूटनीति का परिचय है जो शेर की तरह है. उनका ये कहना है…

भारत को कोई आँख दिखाए, यह प्रधानमंत्री मोदी को बर्दाश्त नहीं है.पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह पाकिस्तान को जवाब दिया है, वह मोदी की मज़बूत इच्छाशक्ति को ही दर्शाता है.दोनों देशों के मध्य जंग जैसे बने हालात के बीच अचानक सीजफायर का निर्णय भारत ने किसी देश अथवा व्यक्ति के दबाव में आकर नहीं लिया था.बल्कि कूटनीति के तहत लिया गया निर्णय था. मोदी की कूटनीति और भारतीय सेना की युद्ध नीति शेर की तरह है. शेर जब दो कदम पीछे हटता है, तो अपने शिकार पर हमला दोगुनी ताक़त से करता है. सीजफ़ायर के बाद भारत भी शिथिल नहीं पड़ा है.अपनी तैयारियाँ दोगुने ताक़त से कर रहा है. ....शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज 

उनके इस बयान से साफ़ है कि युद्ध विराम के पीछे की खामोशी किसी भी वक़्त भंग हो सकती है, मतलब ये कि इस साल के बचे 6 महीनों में पाकिस्तान को पुनः उसकी औक़ात दिखाई जा सकती है यानी की पाकिस्तान के खंड-खंड होने का समय नज़दीक है. इन सबके बीच शंकराचार्य से जब हिंदू राष्ट्र को लेकर सवाल किया गया , तो उन्होंने मक्का में मक्केश्वर महादेव के होने से लेकर ईसाह मसीह के हिंदू पूर्वज होने की बात कह डाली…किस प्रकार से भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर आगे बढ़ रहा है और इस राह में पीएम मोदी सेतु के रूप में किस प्रकार काम कर रहे हैं..इसको लेकर उन्होंने बड़ा बयान दिया….

हिंदू राष्ट्र का संकल्प जरूर साकार होगा. उसी क्रम में आगे बढ़ रहे हैं. मोदी जी हिंदू राष्ट्र का खंडन करते हैं क्या? विश्व के 54-55 देशों में हिंदू रहते हैं, सभी के पूर्वज सनातनी थी. ईसाह मसीह के पूर्वज कौन थे? गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि उनके पूर्व कश्मीरी पंडित थे. हिंदू का जो विज्ञान है, विद्या और कला में कोई पार नहीं पा सकता है. बुश महोदय (जॉर्ज बुश) ने कहा था कि मैं ईसाई हूं और बाइबिल में आस्था रखता हूं, लेकिन बाइबिल में सृष्टि को लेकर जो जानकारी है उसे आधुनिक विज्ञान ने तिरस्कृत है.देखा जाए, तो भारत को धर्म निरपेक्ष नहीं बल्कि पंथ निरपेक्ष कहा जाना चाहिए, क्योंकि धर्म तो केवल सनातन है, बाक़ी सब पंथ है.…शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज 

पीएम मोदी की कूटनीति को शेर बताकर जिस प्रकार से शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने हिंदू राष्ट्र पर सत्यता की मुहर लगाई है और वो भी ऐसे वक़्त में जब पीएम मोदी अपने तीसरे कार्यकाल का एक साल पूर्ण कर चुके हो…ये बताता है कि भविष्य में भारत में जो कुछ भी होना है, वो ऐतिहासिक होगा.

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