जन्माष्टमी का व्रत रखा है तो भूलकर भी न करें ये 7 काम, शास्त्रों में है सख्त मनाही
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसे काम बताए गए हैं जिन्हें इस दिन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. मांसाहार, तामसिक भोजन, क्रोध, झगड़ा, पूजा में लापरवाही, दान-पुण्य से दूरी और साफ-सफाई में लापरवाही व्रत के पुण्य को कम कर सकती है. सही नियमों का पालन करके ही जन्माष्टमी का व्रत पूर्ण फलदायी होता है.
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, घरों और मंदिरों में सजावट करते हैं और रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं. लेकिन शास्त्रों और पुराणों में इस व्रत से जुड़े कुछ नियम भी बताए गए हैं, जिनका पालन न करने पर व्रत और पूजा का फल कम हो सकता है. आइए जानते हैं जन्माष्टमी के दिन किन गलतियों से बचना जरूरी है.
मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन
शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी व्रत के दिन मांसाहार, मदिरा, लहसुन-प्याज और तामसिक भोजन का सेवन सख्त वर्जित है. इस दिन केवल सात्विक और फलाहार ही ग्रहण करना चाहिए. तामसिक भोजन मन को अशुद्ध करता है और भक्ति में बाधा डालता है.
व्रत में नियम तोड़ना
व्रत के दौरान दिन में बार-बार फलाहार या अनजाने में अन्न ग्रहण करने से व्रत का फल अधूरा रह जाता है. शास्त्रों के मुताबिक व्रत में केवल निर्धारित समय पर ही जल या फल लेना चाहिए और संकल्प तोड़ने से बचना चाहिए.
श्रीकृष्ण जन्म समय की पूजा में अनुपस्थिति
रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का क्षण बेहद पवित्र माना गया है. इस समय शंख और घंटी बजाकर आरती करनी चाहिए और झूला झुलाना चाहिए. जन्म समय पर पूजा में अनुपस्थित रहना या लापरवाही करना व्रत के प्रभाव को कम कर देता है.
क्रोध, झगड़ा और नकारात्मक विचार
शास्त्रों में कहा गया है कि व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म — तीनों पवित्र होने चाहिए. क्रोध करना, बहस या झगड़ा करना और नकारात्मक सोच रखना व्रत की पवित्रता को नष्ट कर देता है. इस दिन शांति और प्रेम बनाए रखना जरूरी है.
साफ-सफाई में लापरवाही
जन्माष्टमी के दिन घर, पूजा स्थल और शरीर की शुद्धि पर विशेष ध्यान देना चाहिए. देर से स्नान करना, मंदिर की सफाई न करना या पूजा सामग्री को गंदा रखना अशुभ माना जाता है.
दान-पुण्य से दूरी
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है. जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन देना शुभ माना गया है. इस दिन दान न करना या जरूरतमंद की मदद से मुंह मोड़ना पुण्य के अवसर को खो देना है.
मोबाइल या टीवी में समय बर्बाद करना
आजकल लोग त्योहार के दिन पूजा से ज्यादा समय मोबाइल या टीवी में बिता देते हैं. जन्माष्टमी जैसे पावन दिन पर समय श्रीकृष्ण की भक्ति, कथा, भजन और सेवा में लगाना चाहिए.
जन्माष्टमी का व्रत केवल उपवास का नाम नहीं है, बल्कि यह आत्मसंयम, शुद्धता और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का दिन है. इस दिन की गई छोटी-छोटी गलतियां व्रत के पुण्य को घटा सकती हैं. इसलिए शास्त्रों के बताए नियमों का पालन करें, मन को पवित्र रखें और जन्माष्टमी को पूरे श्रद्धा भाव से मनाएं.
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