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Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक देव जी कैसे बने सिखों के पहले गुरु? कल या परसों, जानें कब है गुरु नानक जयंती

सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु नानक जयंती बहुत ही खास होती है. क्योंकि इस दिन को सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस खास अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य आयोजन किए जाते हैं. लंगर लगाए जाते हैं, लोगों की सेवा की जाती है. लेकिन इस बार गुरु नानक जयंती को लेकर लोगों के मन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में इस आर्टिकल के जरिए जानिए सही तिथि, सही समय और इतिहास के बारे में…

सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु नानक जयंती बहुत महत्व रखती है. इसे गुरुपर्व और गुरु नानक प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. ये दिन सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरु नानक देव जी को समर्पित है. इस दिन देश-भर के गुरुद्वारों में भव्य आयोजन किए जाते हैं. लंगर सेवा की जाती है और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करके नानक के उपदेशों को याद किया जाता है. लेकिन इस बार लोगों के मन में गुरु नानक जयंती को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में चलिए आपकी कन्फ्यूजन को दूर करके सही तिथि, शुभ समय और महत्व के बारे में आपको भी बताते हैं…. 

कब है गुरुनानक जयंती?

हिंदू पंचांग के अनुसार, गुरु नानक देव जयंती हर साल अक्टूबर या फिर नवंबर के बीच कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इस बार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को रात 10 बजकर 36 मिनट पर हो रही है. वहीं इसका समापन 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर हो रहा है. इसलिए 5 नवंबर को ही गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी.    

जानें गुरु नानक जयंती का महत्व

गुरुपर्व के नाम से जाने जाने वाला पर्व सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहारों में से एक है. यह दिन न सिर्फ गुरुनानक देव जी के जन्मदिन को मनाने का मौका है बल्कि उनके आदर्शों, उनके व्यवहार और उनके गुणों को अपनाने का भी सुनहरा मौका है. 

कैसे बने गुरु नानक देव जी सिखों के पहले गुरु?

गुरु नानक देव जी सिखों के पहले गुरु इसलिए बने क्योंकि सन् 1507 ई. में सुल्तानपुर की वैन नदी में तीन दिन गायब रहे और जब लौटे तो बोले- ‘न कोई हिंदू है, न कोई मुसलमान’ और सभी को इक ओंकार का संदेश दिया. जात-पात, अंधविश्वास छोड़ो और सिर्फ नाम जप करो. इसके बाद उन्होंने भारत, तिब्बत, श्रीलंका और मक्का तक पैदल यात्राएं की. करतारपुर में पहला गुरुद्वारा बनवाया, लंगर शुरू किया और लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया. 1539 में भाई लेहना को गुरु अंगद बनाकर गुरुगद्दी सौंपी. इस तरह वे सिख धर्म के पहले गुरु बने और लाखों लोगों को सिख बनाया. उनके वचन आज भी गुरु ग्रंथ साहिब में जीवित हैं.

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