Advertisement

धरती की नाभि पर शिव के किस ज्योतिर्लिंग के आगे काल भी घुटने टेकता है?

क्षिप्रा किनारे बसी महाकाल लोक की मिस्ट्री और हिस्ट्री, आज भी आम जनमानस के लिए अद्भुत है…कालों के काल महाकाल की ये दुनिया विज्ञान से परे हैं…क्योंकि जिस स्थान पर महाकाल बसते हैं, वहाँ काल भी घुटने टेकता है.आलम ये है कि महाकाल भक्त पीएम मोदी हो या फिर कोई और, पृथ्वी का नाभि स्थान काल के आउट ऑफ कंट्रोल है.

काल भी उसका क्या बिगाड़े , जो भक्त हो महाकाल का ...इन पंक्तियों की गहराई को तभी समझा जा सकता है, जब तक की आप भूमंडल के स्वामी और उज्जैन के राजा महाकालेश्वर के दर्शन नहीं करते हैं. क्षिप्रा किनारे बसी महाकाल लोक की मिस्ट्री और हिस्ट्री, आज भी आम जनमानस के लिए अद्भुत है…कालों के काल महाकाल की ये दुनिया विज्ञान से परे हैं…क्योंकि जिस स्थान पर महाकाल बसते हैं, वहाँ काल भी घुटने टेकता है. आलम ये है कि महाकाल भक्त पीएम मोदी हो या फिर कोई और, पृथ्वी का नाभि स्थान काल के आउट ऑफ कंट्रोल है.

शिव शक्ति का अनूठा संगम महाकाल लोक

सप्तपुरियों में से एक शिप्रा किनारे बसी उज्जैन नगरी में महाकाल की दुनिया अनोखी है,  अद्भुत है और अलौकिक है…स्वयंभू महाकाल का ये इकलौता ऐसा धाम है, जहां वो अपने दक्षिणमुखी स्वयंभू शिवलिंग स्वरूप में विराजमान हैं…महाकाल की इसी पावन धरा से पूरी दुनिया का समय निर्धारित होता है…कहते हैं , ऐसा कोई देव नहीं, जो यहाँ आया नहीं..और ऐसा कोई भक्त नहीं, जिसे महाकाल ने अपनाया नहीं. मतलब ये कि अकाल मृत्यु वो मरे जो कर्म करे चांडाल का, काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का.देखा जाए तो, इस वक़्त पूरी दुनिया में महाकाल लोक चमक रहा है..आलीशान कॉरिडोर बन जाने से …. महाकाल लोक की भव्यता आज सातवें आसमान पर है…साल 2022 , अक्टूबर माह में महाकाल लोक का लोकार्पण ख़ुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज जिस आलीशान महाकाल लोक को पूरी दुनिया अपनी आँखों से देख रही है…उसकी परिकल्पना साल 2004 में पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए की थी और इस बात का खुलासा ख़ुद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है…उन्होंने दुनिया के सामने ये बताया कि साल 2004 में ही पीएम मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक़्त उन्होंने उज्जैन की धरती पर अलौकिक महाकाल लोक की भविष्यवाणी की थी.महाकाल परिसर के विकास का जिक्र किया था. उनकी दूरदृष्टि ने उसी क्षण महाकाल लोक की कल्पना कर ली थी, जिसे अब जाकर हक़ीक़त का रूप दिया गया है. सौ बात की एक बात ये कि भले ही महाकाल लोक की नींव 2016 में रखी गई हो, लेकिन इसके अस्तित्व की भविष्यवाणी पीएम मोदी 2004 में ही कर चुके थे.

पृथ्वी की नाभि पर पीएम मोदी की मौजूदगी 

ये जग ज़ाहिर है कि महाकाल भक्तों को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता है, क्योंकि काल महाकाल के कंट्रोल में रहता है और जो कि महाकाल ख़ुद पृथ्वी की नाभि पर विराजते हैं, जिस कारण काल का यहाँ कोई कंट्रोल नहीं. पृथ्वी के बीचोंबीच बीच विद्यमान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के ईद-गिर्द आज भी उनके भक्तों को एक अनूठी ऊर्जा का एहसास होता है.दीवारों से लेकर हर कोने में एक दिव्य स्पंदन महसूस होती है, जो भक्तों को आध्यात्मिकता की गहराई की ओर लेकर जाता है. नाभि पर स्थित शिव-शक्ति के इस अनूठे संगम के जो कोई भी व्यक्ति दर्शन करता है, उसको ना ही अकाल मृत्यु छूती और ना ही काल अपना प्रभाव छोड़ता है. ये वो स्थान है, जहां से इस ब्रह्मांड का समय नापा जाता है. जो कि शिव भक्ति पीएम के हाथों महाकाल लोक का लोकार्पण हुआ और कई दफ़ा उन्हें महाकाल की शरण में देखा गया है, जिस कारण ये कहा जा सकता है कि पृथ्वी की इस नाभि पर पहुँचे महाकाल भक्त पीएम मोदी का काल कभी कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा.

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE
अधिक →