MiG-21 Retirement: स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित ने तैयार की भारतीय वायुसेना से MiG-21 विमानों की विदाई की रूपरेखा
IAF MiG-21 Retire: छह दशकों से भी अधिक समय तक भारतीय वायुसेना (IAF) के लड़ाकू बेड़े की ताकत रहे MiG-21 फाइटर जेट शुक्रवार (26 सितंबर) को चंडीगढ़ में आयोजित होने वाले एक समारोह में रिटायर हो रहे हैं.
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भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) का सबसे प्रतिष्ठित लड़ाकू विमान मिग-21 आज यानी 26 सितंबर को आधिकारिक रूप से रिटायर हो रहा है. आज भारतीय वायुसेना इस विमान को आखिरी सलामी देने जा रही है.
स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित ने तैयार की MiG-21 की विदाई की रूपरेखा
MiG-21 विमानों की विदाई की रूपरेखा तैयार की अमेठी के रहने वाले स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित ने, जो हाल ही में भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए है. उनके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एयरशो को करने के अनुभव को देखते हुए भारतीय वायु सेना द्वारा उन्हें पुन: सम्मान के साथ बुलाया गया, जहां MiG-21 के जांबाज लड़ाकू पायलटों के साथ मिलकर स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित ने चंडीगढ़ में होने वाले MiG-21 एयरशो की सारी जानकारी ली. फिर उसी के आधार पर पूरी रूपरेखा तैयार की. रूपरेख तैयार करने बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वायुसेना के अध्यक्ष और चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह, पश्चिमी वायु कमान के वायु कमान अधिकारी एवं देश विदेश से बुलाए गए गणमान्य अतिथियों के समक्ष इसे पूरा करके दिखाया.
स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित को 'विशेष सम्मान'
यह अपने आपमें एक विशेष सम्मान होता है जब वायु सेना द्वारा किसी सेवानिवृत्त अधिकारी को उसकी योग्यता, देशभक्ति, कर्तव्य निष्ठा को देखते हुए पुनः याद किया जाता है. स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित ऐसे ही विरले लोगों में से एक हैं.
इस अवसर पर उन्होंने MiG-21 फाइटर जेट, जगुआर बम वर्षक विमान, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, जैसे विमानों को एयरशो में एयरशो की रूपरेखा के अनुसार प्रदर्शित करके दिखाया. इस अवसर पर वायु सेना प्रमुख द्वारा भी MiG-21 के विमान को उड़ाया गया, जिसकी रूप रेखा को रक्षा मंत्री के समक्ष स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित ने रखा.
MiG-21 का इतिहास
आप को बता दें कि मिग-21 दुनिया के सबसे प्रसिद्ध लड़ाकू विमानों में से एक रहा है. सोवियत निर्मित इस विमान ने पहली बार 1955 में उड़ान भरी थी और 50 से ज़्यादा देशों ने इसके विभिन्न संस्करणों का इस्तेमाल किया है. पश्चिमी देशों ने मिग-21 को 'फिशबेड' नाम दिया था और इसके कुछ संस्करण 21वीं सदी तक उड़ान भरते रहे हैं. 1985 में उत्पादन बंद होने से पहले सोवियत संघ ने 10,000 से ज़्यादा मिग-21 बनाए थे.
रूस में बना मिग-21 भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट था. भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तमाम युद्धों में वीरता की अद्भुद कहानी लिखने वाला यह सुपरसोनिक फाइटर जेट अब अपनी अंतिम उड़ान भर रहा है. 26 सितंबर को चंडीगढ़ एयरबेस पर हुए समारोह के साथ ही इस विमान की 62 साल पुरानी यात्रा का अंत हो गया. अपने 62 साल के इस सफर में मिग-21 ने न केवल भारतीय आकाश की रक्षा की, बल्कि हर बार दुश्मनों को धूल भी चटाई.
स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित ने साझा कीं पुराने दिनों की यादें
स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित आखिरी बची 23 स्क्वाड्रन के हिस्से रहे और अपने दिनों को याद करते हुए वे बताते हैं कि उनको अपनी स्क्वाड्रन के विमानों का टेक ऑफ देखना इतना पसंद था कि वे राजस्थान की भीषण गर्मी में रनवे के किनारे घंटों तक खड़े होकर मिग-21 विमान की बारीकियों को समझते रहते थे.
ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिसर के तौर पर स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित को साल 2019 और साल 2023 में वायु कमान मेंटेनेंस कमान नागपुर और सेंट्रल एयर कमांड प्रयागराज से भी प्रशंसा प्राप्त हो चुकी है. स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित मार्शल अर्जन सिंह से लिखित रूप से प्रशंसा पत्र प्राप्त करने वाले अधिकारी रहे हैं. इसके साथ-साथ 25 मई 2024 को उनकी विभिन्न पुस्तकों को लिखने की कला के कारण उन्हें उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल द्वारा भी प्रसंशित किया जा चुका है. उन्हें तीनों सेनाओं के विभिन्न उच्च अधिकारियों के 20 से भी अधिक प्रशंसा पत्र प्राप्त हो चुके हैं.
स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित कहते हैं-
''धर्म की रक्षा के लिए ईश्वर किसी भी व्यक्ति को चुनकर उसे योग्य बनाता है और अधर्म के विरुद्ध लड़ाई में उसके साथ खड़ा रहकर उसको विजयी बनाता है.''
स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित देश के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो देश सेवा से जुड़े हैं. वह ऐसे लोगों के लिए एक बड़ा संदेश है जो समझते है कि रिटायर हुआ सैनिक किसी काम का नहीं होता. वर्तमान में स्क्वाड्रन लीडर सुबोध दीक्षित अमेठी के कोरवा आयुधपुरम में रहते हैं.
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