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दुश्मनों के लिए काल बनेंगी लखनऊ में बनी ब्रह्मोस मिसाइलें, 18 अक्टूबर को सीएम योगी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहली खेप करेंगे लॉन्च

उत्तर प्रदेश अब रक्षा निर्माण में भी अग्रणी बन रहा है. लखनऊ के भटगांव में बनी ब्रह्मोस मिसाइलें पूरी तरह तैयार हैं और 18 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली खेप लॉन्च करेंगे. 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी 80 एकड़ फैक्ट्री में सालाना 80–100 मिसाइलें बनाई जाएंगी. यह परियोजना भारत की रक्षा क्षमता मजबूत करने के साथ-साथ स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास में भी योगदान दे रही है.

Brahmos Missile (File Photo)

उत्तर प्रदेश अब केवल देश का सबसे बड़ा सियासी राज्य ही नहीं, बल्कि रक्षा निर्माण के क्षेत्र में भी नई पहचान बना रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की औद्योगिक नीतियों और केंद्र सरकार के समर्थन से लखनऊ अब देश की रक्षा राजधानी बनने की ओर अग्रसर है. इसी कड़ी में लखनऊ के भटगांव में बनी ब्रह्मोस मिसाइलें अब पूरी तरह तैयार हैं, जो भारत की सुरक्षा कवच को और भी मजबूत बनाएंगी.

ब्रह्मोस निर्माण इकाई से बढ़ी भारत की ताकत

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संयुक्त रूप से इन मिसाइलों की पहली खेप को 18 अक्टूबर को लॉन्च करेंगे. यह पल न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय होगा. लखनऊ के भटगांव में स्थित ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई की नींव इसी साल 11 मई को रखी गई थी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस निर्माण इकाई उद्घाटन किया था. लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से 80 एकड़ में फैली इस फैक्ट्री में हर साल 80 से 100 मिसाइलें बनाने का लक्ष्य रखा गया है. भविष्य में इस क्षमता को बढ़ाकर 150 मिसाइलें प्रति वर्ष करने की योजना है. यह इकाई उत्तर प्रदेश में रक्षा विनिर्माण को नई दिशा देने के साथ-साथ 'मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत' के विजन को भी साकार कर रही है. इस परियोजना से स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था में भी तेजी आ रही है.

ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत

ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से तैयार की गई दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है. इसकी रफ्तार ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना (मैक 3) तक है. यह 290 से 400 किलोमीटर दूर तक सटीक निशाना साधने में सक्षम है. इस मिसाइल को जमीन, हवा और समुद्र तीनों माध्यमों से दागा जा सकता है. लॉन्च होते ही यह अपने लक्ष्य को खुद पहचानकर सटीक प्रहार करती है. दुश्मन के रडार को चकमा देने की इसकी क्षमता इसे दुनिया की सबसे घातक मिसाइलों में शामिल करती है. हाल ही में ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत एक बार फिर साबित हुई, जब इसने पाकिस्तान के कई रणनीतिक ठिकानों को नष्ट कर दिया था.

भारत-रूस साझेदारी का सफल उदाहरण

ब्रह्मोस परियोजना भारत के डीआरडीओ और रूस की एनपीओएम कंपनी का संयुक्त उपक्रम है. इसमें भारत की 50.5% और रूस की 49.5% हिस्सेदारी है. यह साझेदारी भारत की तकनीकी दक्षता और रणनीतिक सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है. ब्रह्मोस के जरिए भारत ने साबित किया है कि वह न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बन रहा है.

बताते चलें कि लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण होना शहर और प्रदेश दोनों के लिए गर्व की बात है. इससे उत्तर प्रदेश की औद्योगिक और सामरिक पहचान को नई दिशा मिली है. 18 अक्टूबर को जब पहली खेप लॉन्च होगी, तब यह पल इतिहास में दर्ज होगा. यह कदम न केवल भारत की रक्षा नीति को मजबूती देगा, बल्कि यह भी संदेश देगा कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश देश की रक्षा निर्माण की धुरी बनने जा रहा है.

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