किसी को जोसेफ तो किसी को जॉय बनाया, हॉस्टल के मासूम बच्चे शिकार, 15 साल से चल रहे धर्मांतरण के काले खेल का हैरतअंगेज खुलासा
हॉस्टल की दीवारें 10 फीट ऊंची हैं इसके ऊपर तारबंदी के कारण कोई बच्चा बाहर भी नहीं जा पाता था. हॉस्टल के अंदर क्या चल रहा है बाहर के लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी, लेकिन पुलिस की दबिश ने इस खतरनाक धर्मांतरण गैंग का पर्दाफाश कर दिया.
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राजस्थान में धर्म परिवर्तन के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है. यहां बच्चों को हॉस्टल में कैद करके जबरन धर्मांतरण करवाया जाता था और ये खेल आज कल परसों या कुछ महीनों से नहीं बल्कि कई सालों से चल रहा था. अलवर पुलिस की हालिया कार्रवाई ने इस धर्मांतरण गैंग के धागे खोल दिए.
राजस्थान के अलवर की ईसाई मिशनरी हॉस्टल में 15 साल से छोटे बच्चों का अवैध धर्मांतरण करवाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां शिक्षा के मंदिर में बच्चों के भीतर हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत के बीज बोए जा रहे थे. किताबों की जगह एक ईसाई धर्म का ग्रंथ पढ़ाया जा रहा था. बच्चे का नाम जोसेफ, जॉय या योहना कर दिया जाता था और ये सब कुछ यहां पिछले 15 सालों से हो रहा था.
10 फीट ऊंची दीवारे, तारबंदी, ब्रेनवॉश
अलवर के सैय्यद कॉलोनी में स्थित ये ईसाई मिशनरी हॉस्टल बाहर से आम हॉस्टल जैसा ही दिखता था लेकिन अंदर ईसाई संगठन का गंदा खेल चल रहा था. गरीब बच्चों की पढ़ाई और रहने खाने की व्यवस्था के नाम पर उनके दिमाग से खेला जा रहा था. दिखाने के लिए सरकारी स्कूल में उनका एडमिशन भी करवाया जाता था, लेकिन हॉस्टल के अंदर उनको कैद कर ब्रेनवॉश किया जा रहा था.
हॉस्टल की दीवारें 10 फीट ऊंची हैं इसके ऊपर तारबंदी के कारण कोई बच्चा बाहर भी नहीं जा पाता था. हॉस्टल के अंदर क्या चल रहा है बाहर के लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी, लेकिन पुलिस की दबिश ने इस खतरनाक गैंग का पर्दाफाश कर दिया.
चेन्नई से दी जा रही थी स्पेशन ट्रेनिंग
पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों सोहन सिंह और बोध अमृत सिंह को अरेस्ट किया है. जिनसे पूछताछ में कई खुलासे हुए हैं. सामने आया कि, धर्म परिवर्तन के लिए आरोपियों को दूसरे राज्यों से फंडिंग हो रही थी. छोटे-छोटे स्कूली बच्चों के ब्रेनवॉश के लिए से चेन्नई से स्पेशल ट्रेनिंग देकर भेजा जाता था. यहां प्रचारकों को बदल-बदल कर भेजा जाता था. इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड चेन्नई का धर्म गुरु सेल्वा है.
सीकर के बाद अलवर में चलाया नेटवर्क
आरोपी अमृत सिंह को लेकर पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. पुलिस के मुताबिक, अमृत सिंह पहले भी सीकर में धर्मांतरण केस में पकड़ा गया था. इसके बाद जैसे ही वह जमानत पर छूटा अलवर पहुंच गया. यहां फिर धर्मांतरण के खेल में लिप्त हो गया. सीकर में भी अमृत सिंह ने सेल्वा के इशारों पर ही इस कांड को अंजाम दिया था.
कहां तक फैला धर्मांतरण का रैकेट?
सेल्वा की इस गैंग ने पहले अमृत सिंह, सोहन सिंह समेत कई लोगों को अपना शिकार बनाया. अमृत सिंह पहले गरासिया था बाद में वह ईसाई बन गया. इसके बाद वह चेन्नई के सेल्वा की गैंग से जुड़कर देशभर में धर्मांतरण का जाल फेंकने लगा. इस बार इस गैंग का शिकार कई बच्चे हुए हैं. गुजरात, बीकानेर, श्रीगंगानगर, अनूपगढ़ और सीकर तक नेटवर्क फैला है. अमृत सिंह को भी चेन्नई से खास ट्रेनिंग दी गई थी.
हॉस्टल में छापेमारी पर पुलिस को क्या-क्या मिला?
ईसाई मिशनरी हॉस्टल में छापेमारी के दौरान पुलिस को यहां धार्मिक ग्रंथ, डिजिटल और प्रिंटेड मटेरियल बरामद हुए हैं.
बच्चों में हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ नफरत भरी
पुलिस के मुताबिक, ये गैंग गरीब को पैसों का लालच देकर भी उनका धर्म परिवर्तन करवाता था. मामले में हिंदू संगठन विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि हॉस्टल में बच्चों को हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ भड़काया जा रहा था. हिंदुओं के खिलाफ एक मानसिकता बनाई जा रही थी. बच्चों का इस्तेमाल स्लीपर सेल की तरह किया जा रहा था.
अवैध धर्मांतरण के खिलाफ भजनलाल सरकार के नए बिल में क्या है?
धर्मांतरण के रैकेट का पर्दाफाश ऐसे समय में हुआ जब भजनलाल सरकार विधानसभा में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ बिल पेश किया है. बिल में धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े क़ानून का प्रावधान है. जिसमें आजीवन कारावास भी शामिल है.
15 साल से चल रहे रैकेट पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
इस पूरे केस में कई सवाल खड़े हो रहे हैं. 15 साल से एक हॉस्टल में जबरन और ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण का खेल चल रहा था लेकिन न तो स्थानीय लोगों को इसकी भनक थी न ही पुलिस को. वहीं, धर्मांतरण के लिए ट्रांसफर भारी भरकम फंडिग का मुख्य सोर्स क्या था? क्या यह सिर्फ धार्मिक मिशन था या फिर इसमें कोई राजनीतिक दल भी शामिल हैं. फिलहाल राजस्थान और देशभर में गहरी जड़े जमाने वाले इस रैकेट की पूरी कुंडली खंगालने के लिए पुलिस चेन्नई तक दबिश दे रही है.
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