WBCHSE 12th Exam 2025: नकल रोकने के लिए टॉयलेट जाने तक पर लगी रोक, नए नियमों से मचा बवाल
WBCHSE के नए नियमों ने परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने की पहल जरूर की है, लेकिन टॉयलेट जैसे बुनियादी हक पर रोक लगाकर उसने अपने ही प्रयासों को विवादों में डाल दिया है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि परिषद इस मुद्दे पर कोई बदलाव लाती है या छात्रों और अभिभावकों की आपत्तियों को दरकिनार करती है.
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WBCHSE: पश्चिम बंगाल उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद (WBCHSE) ने कक्षा 12वीं के छात्रों के लिए सितंबर 2025 में आयोजित होने वाली थर्ड सेमेस्टर परीक्षा के लिए कड़े और विवादित नियम लागू किए हैं. इन नियमों का उद्देश्य परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है, लेकिन इनमें से एक ऐसा प्रावधान है जिसने छात्रों, अभिभावकों और विशेषज्ञों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है , परीक्षा के दौरान छात्रों को टॉयलेट जाने की अनुमति नहीं होगी.
परीक्षा का समय और प्रमुख निर्देश
WBCHSE के अनुसार, हायर सेकेंडरी थर्ड सेमेस्टर परीक्षा 8 से 22 सितंबर 2025 के बीच आयोजित की जाएगी. परीक्षा का समय सुबह 10:00 बजे से 11:15 बजे तक होगा, यानी कुल 1 घंटा 15 मिनट की अवधि की परीक्षा होगी. लेकिन परीक्षा केंद्र पर छात्रों को सुबह 9 बजे तक पहुंचना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके बाद किसी को एंट्री नहीं दी जाएगी.
टॉयलेट पर पूर्ण प्रतिबंध
सबसे विवादास्पद नियम यह है कि परीक्षा की पूरी अवधि के दौरान छात्रों को टॉयलेट जाने की अनुमति नहीं होगी. परिषद का कहना है कि यह फैसला नकल को रोकने के लिए लिया गया है. हालांकि, इस पर भारी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
1.दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने इस नियम को मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है और इसे छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार बताया है.
2. कई चिकित्सकों ने भी चेताया है कि टॉयलेट न जाने देना स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है, खासकर महिला छात्रों और मेडिकल कंडीशन से जूझ रहे छात्रों के लिए.
3. वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे छात्रों के बुनियादी अधिकारों के खिलाफ बताते हुए नियम को पुनर्विचार करने की सलाह दी है.
नकल पर कड़ी निगरानी का बंदोबस्त
WBCHSE ने परीक्षा पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए और भी कई नियम लागू किए हैं:
प्रतिबंधित वस्तुएं
छात्रों को मोबाइल फोन, कैलकुलेटर, ईयरबड्स या किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लाने की अनुमति नहीं होगी.
OMR शीट और पेन का उपयोग
छात्रों को केवल नीले या काले बॉल प्वाइंट पेन से ही OMR शीट भरनी होगी.रफ काम के लिए अलग शीट नहीं दी जाएगी; उन्हें प्रश्न पत्र पर ही हल करना होगा.
सीटिंग अरेंजमेंट
‘S-पैटर्न’ में सीटिंग व्यवस्था की जाएगी, जिससे एक-दूसरे की कॉपी देखना या नकल करना मुश्किल हो जाएगा.
सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था
परीक्षा हॉल में CCTV कैमरे लगाए जाएंगे और रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्टर के माध्यम से संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी.
सोशल मीडिया पर छाया मामला, छात्रों का फूटा गुस्सा
जैसे ही परिषद द्वारा यह निर्देश जारी किए गए, सोशल मीडिया पर छात्रों, पेरेंट्स और शिक्षकों ने इसे लेकर नाराजगी जतानी शुरू कर दी. #ToiletBan, #StudentRights, जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे. बहुत से लोग इसे मानसिक और शारीरिक रूप से छात्रों पर अनुचित दबाव मान रहे हैं.
WBCHSE की दलील: छोटी परीक्षा में टॉयलेट ब्रेक की जरूरत नहीं
परिषद का कहना है कि परीक्षा केवल 1 घंटा 15 मिनट की है और इतने छोटे समय में टॉयलेट जाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. उनका तर्क है कि कुछ छात्र टॉयलेट ब्रेक का दुरुपयोग कर नकल करते हैं, इसलिए इसे नियंत्रित करना आवश्यक हो गया है.
विशेषज्ञों की राय: संतुलन जरूरी है
शिक्षा नीति विशेषज्ञों का मानना है कि पारदर्शिता जरूरी है, लेकिन छात्रों की सुविधा और स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. नियमों में सख्ती जरूरी है, लेकिन उसमें लचीलापन और मानवीय दृष्टिकोण भी होना चाहिए.
नकल पर रोक या अधिकारों पर प्रहार?
WBCHSE के नए नियमों ने परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने की पहल जरूर की है, लेकिन टॉयलेट जैसे बुनियादी हक पर रोक लगाकर उसने अपने ही प्रयासों को विवादों में डाल दिया है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि परिषद इस मुद्दे पर कोई बदलाव लाती है या छात्रों और अभिभावकों की आपत्तियों को दरकिनार करती है.
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