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100% रिजल्ट, 50+ बच्चों का IIT-AIIMS में चयन, राष्ट्रपति से सम्मानित... JNV कोरबा के टीचर संतोष चौरसिया के इंटरैक्टिव लर्निंग मॉडल ने गाड़ा झंडा

छत्तीसगढ़ के कोरबा ज़िले स्थित पीएम श्री जवाहर नवोदय विद्यालय (JNV) के PGT Chemistry के प्रख्यात शिक्षक संतोष कुमार चौरसिया ने अपने अनोखे लेकिन बहुत रोचक पढ़ाने के तरीकों से शिक्षा की दुनिया में एक मिसाल कायम की है. पंद्रह वर्षों से लगातार करीब शत प्रतिशत रिजल्ट देने वाले चौरसिया ने ना केवल विद्यार्थियों के बीच विज्ञान का डर मिटाया, बल्कि उन्हें उच्च शिक्षा के लिए भी प्रेरित किया. उनके मार्गदर्शन में अब तक 50 से अधिक छात्र देश के प्रतिष्ठित IIT और AIIMS जैसे संस्थानों में प्रवेश पा चुके हैं.

ICT के उपयोग से आनंददायक रोचक शिक्षा प्रदान करने वाले JNV कोरबा के PGT केमिस्ट्री संतोष चौरसिया को बीते दिनों शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अब उनके लर्निंग मॉड्यूल की काफी चर्चा हो रही है. उन्होंने कंप्यूटर के रोचक गेम के माध्यम से न सिर्फ बच्चों की परीक्षा आसान की बल्कि ‘खेल-खेल में विज्ञान’ की विधि के जरिए केमिस्ट्री जैसे कठिन माने जाने वाले विषय को भी आसान बना दिया.

खेल-खेल में विज्ञान और ICT वाले संतोष चौरसिया का मॉड्यूल हो रहा मशहूर

श्री चौरसिया ने कबाड़ सामग्रियों के इस्तेमाल से विज्ञान के टीचर लर्निंग मॉडल (TLM) का निर्माण कर बच्चो के मन से विज्ञान के डर को कम किया. उनकी उपलब्धि इतनी ही नहीं बल्कि 15 वर्षों में उनका 100% रिजल्ट रहा है और उनके मार्गदर्शन में 50 से ज्यादा बच्चे JEE और NEET में उत्तीर्ण हुए और आज AIIMS और IIT में पढ़ाई कर रहे हैं.

संतोष चौरसिया की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे पारंपरिक शिक्षण पद्धति तक सीमित नहीं रहे. वो सिर्फ बच्चों को शिक्षित करने तक सीमित नहीं रहे बल्कि बच्चों को प्रैक्टिकल नॉलेज दिया और इस आधार पर कोर्स को करवाया ताकि वो बाहरी दुनिया से भी लोहा ले सकें. सिर्फ 12वीं में अच्छे नंबर लाना नहीं बल्कि अच्छे प्रोफेशनल कोर्स और फील्ड में भी झंडे गाड़ने के लिए तैयार किया.

उन्होंने ICT (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) का प्रभावी इस्तेमाल करते हुए विज्ञान को बच्चों के लिए रोमांचक और सहज बना दिया. उन्होंने स्वयं पचास से अधिक इंटरैक्टिव केमिस्ट्री गेम्स विकसित किए, जिससे विद्यार्थी कठिन अवधारणाओं को खेल-खेल में समझ पाते हैं. यही नहीं, उन्होंने कबाड़ और रोज़मर्रा की सरल सामग्री का प्रयोग कर विज्ञान के TLM (Teaching Learning Material) तैयार किए, जिससे जटिल प्रयोगों को भी आसानी से समझाया जा सकता है. उनकी 'खेल-खेल में विज्ञान' पहल ने विद्यालय के माहौल को काफी उन्न्त और प्रयोग का केंद्र बना दिया.

संतोष चौरसिया के अनोखे तरीके और लगन के कारण उन्हें मिला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

उनके अनोखे पढ़ाने के तरीके (Innovative Teaching) के इसी अद्भुत क्षमता को देखते हुए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षक दिवस 2025 पर उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Teachers’ Award) से सम्मानित किया. यह सम्मान उनके लिए ही नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ और देशभर के शिक्षकों के लिए गर्व का विषय है.

यह नक्सल प्रभावित और नए बने राज्य के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि यहां पर वाम उग्रवाद से निपटने के लिए शिक्षा और रोजगार सरकार का सबसे बड़ा हथियार है. और अगर उसी राज्य का कोई विद्यालय इस तरह का नाम कमाता है, उसके बच्चे देश-दुनिया में अपना नाम रोशन करते हैं तो जाहिर है ये राज्य के लिए बहुत ही गौरवशाली क्षण है.

संतोष चौरसिया की व्यक्तिगत ज़िंदगी भी शिक्षा के प्रति समर्पण का उदाहरण हैं उनकी पत्नी अंजलि चौरसिया. सुश्री चौरसिया भी इसी विद्यालय में शारीरिक शिक्षा की अध्यापिका हैं. यह दंपति बच्चों के समग्र विकास में एक आदर्श भूमिका निभा रहा है.

आपको बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए हर वर्ष 5 सितंबर को प्रदान किया जाता है. राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाला यह सम्मान शिक्षकों की नवाचारपूर्ण शिक्षण पद्धतियों, छात्रों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव और शिक्षा को नई दिशा देने के प्रयासों को मान्यता देता है.

संतोष चौरसिया को यह पुरस्कार इस बात का प्रमाण है कि कैसे रचनात्मकता और तकनीक के मेल से शिक्षा को न केवल रोचक बनाया जा सकता है, बल्कि छात्रों के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त किया जा सकता है.

संतोष चौरसिया की उपलब्धि न सिर्फ़ उनके विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि सही दृष्टिकोण और सतत नवाचार से शिक्षा समाज को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है.

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