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आम लोगों को RBI की सौगात, 1 अक्टूबर से लोन लेना होगा आसान, EMI भी होगी कम

अगर आपने फ्लोटिंग रेट लोन लिया है, तो बैंक आपकी EMI को तीन साल के लॉक-इन पीरियड से पहले भी कम कर सकते हैं. इसका सीधा फायदा यह होगा कि आपकी मासिक किस्त कम हो सकती है.

30 Sep, 2025
( Updated: 30 Sep, 2025
06:28 PM )
आम लोगों को RBI की सौगात, 1 अक्टूबर से लोन लेना होगा आसान, EMI भी होगी कम
RBI

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम लोगों को राहत देने के लिए लोन संबंधी कई अहम बदलावों की घोषणा की है. इन बदलावों में से तीन नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे, जबकि बाकी चार पर अभी विचार चल रहा है. अब अगर आपने फ्लोटिंग रेट लोन लिया है, तो बैंक आपकी EMI को तीन साल के लॉक-इन पीरियड से पहले भी कम कर सकते हैं. इसका सीधा फायदा यह होगा कि आपकी मासिक किस्त कम हो सकती है.

इसके साथ ही, फिक्स्ड रेट लोन पर मौजूद ग्राहकों को अब फ्लोटिंग रेट में स्विच करने का विकल्प भी मिलेगा. यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन बैंक चाहें तो यह सुविधा दे सकते हैं. इससे उधारकर्ताओं को अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार सही ब्याज दर चुनने में आसानी होगी.

अब गोल्ड लोन लेना हुआ आसान

अगर आप गोल्ड लोन लेने की सोच रहे हैं तो खुशखबरी है. अब सिर्फ जौहरी ही नहीं, बल्कि छोटे कारोबारी, कारीगर और अन्य लोग भी, जो सोने को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करते हैं, बैंक से गोल्ड के बदले लोन ले सकेंगे. इससे छोटे उद्योगों को कामकाजी पूंजी जुटाना आसान होगा.

RBI ने प्रस्ताव रखा है कि गोल्ड मेटल लोन (GML) की रीपेमेंट अवधि 180 दिन से बढ़ाकर 270 दिन की जाए. साथ ही, गैर-निर्माण ज्वेलरी विक्रेताओं को भी आउटसोर्सिंग के लिए GML लेने की सुविधा मिलेगी. ये बदलाव MSME और ज्वेलरी सेक्टर के लिए बड़ी राहत साबित होंगे.

बैंकों को पूंजी जुटाने में होगी आसानी

RBI ने बैंकों के लिए ऑफशोर मार्केट से फंड जुटाना आसान कर दिया है. अब वे विदेशी मुद्रा या रुपये में बॉन्ड जारी कर ज्यादा पूंजी ला सकेंगे. इससे बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और लोन देने की क्षमता बढ़ेगी. साथ ही भारत में काम कर रही विदेशी बैंक शाखाओं के लिए बड़े लोन एक्सपोजर और इंटर-ग्रुप ट्रांजेक्शन पर नए नियम लागू होंगे, जिससे जोखिम नियंत्रण में मदद मिलेगी.

और भी ज्यादा सटीक होगा क्रेडिट डेटा 

RBI ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अब हर हफ्ते क्रेडिट ब्यूरो को डेटा भेजने का सुझाव दिया है, जबकि पहले यह प्रक्रिया पखवाड़े में एक बार होती थी. नए नियम से क्रेडिट रिपोर्ट में गलतियों की संभावना कम होगी और समय पर सुधार संभव होगा. साथ ही अब रिपोर्ट में CKYC नंबर भी जोड़ा जाएगा, जिससे पहचान की प्रक्रिया और सरल हो जाएगी.

 

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