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भारत तेजी से ग्रीन हाइड्रोजन इंडस्ट्री का ग्लोबल लीडर बन रहा, रिपोर्ट में सामने आई लो-कॉस्ट आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता

भारत ग्रीन हाइड्रोजन इंडस्ट्री में तेजी से उभर रहा है और 2030 तक लो-कॉस्ट सप्लायर बनने की क्षमता रखता है. सरकार के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और निजी निवेश के सहयोग से देश क्लीन एनर्जी का ग्लोबल हब बन सकता है.

भारत ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. हाल ही में आई एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि देश के पास लो-कॉस्ट हाइड्रोजन आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता है. हालांकि, इसके लिए भारत को अपनी शुरुआती गति को बनाए रखना होगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत प्रतिस्पर्धियों के बीच ऑफटेक समझौतों (Offtake Agreements) को सुरक्षित करना होगा. 

भारत की मजबूत स्थिति और एसेट बेस

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने एसेट्स बेस और भौगोलिक स्थिति के चलते ग्रीन हाइड्रोजन इंडस्ट्री में अग्रणी भूमिका निभाने की स्थिति में है.

  • भारत के पास नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन (सौर और पवन ऊर्जा) के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं. 
  • यही संसाधन कम लागत पर बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन उत्पादन में मदद कर सकते हैं. 

नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जनवरी, 2023 को 19,744 करोड़ रुपये के बजट के साथ नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी.

  • इस मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक हब बनाना है. 
  • 2030 तक भारत का लक्ष्य 50 लाख मीट्रिक टन वार्षिक उत्पादन और वैश्विक व्यापार में 10% हिस्सेदारी हासिल करना है. 

निर्यात की संभावनाएं

भारतीय डेवलपर्स कम लागत पर हाइड्रोजन उत्पादन का लाभ उठाकर इसे यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को निर्यात करने की योजना बना रहे हैं. 

  • इन देशों में ऊर्जा संक्रमण की मांग बढ़ रही है. 
  • भारत अपनी लो-कॉस्ट एडवांटेज के जरिए एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बन सकता है. 

हाइड्रोजन राजमार्गों की शुरुआत

26 सितंबर को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत के पहले “हाइड्रोजन राजमार्गों” की शुरुआत की.

  • इस पहल के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों पर हाइड्रोजन ईंधन स्टेशन स्थापित किए जाएंगे. 
  • इसका उद्देश्य लंबी दूरी के हाइड्रोजन-चालित माल ढुलाई को बढ़ावा देना है. 
  • इससे भारत की ग्रीन हाइड्रोजन पहलों को और गति मिलेगी

स्टार्ट-अप्स और इनोवेशन को बढ़ावा

सरकार ने हाल ही में हाइड्रोजन सेक्टर में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए 100 करोड़ रुपये की फंडिंग योजना की घोषणा की है. 

  • इसमें प्रति परियोजना अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा. 
  • यह योजना हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग की तकनीकों पर आधारित पायलट परियोजनाओं को समर्थन देगी. 

भारत के लिए संभावित चुनौतियां

हालांकि भारत ग्रीन हाइड्रोजन इंडस्ट्री में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन रिपोर्ट में कुछ चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है. 

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा बहुत तेज है. 
  • ऑफटेक समझौते सुरक्षित करना और बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करना आवश्यक होगा. 
  • उत्पादन और भंडारण तकनीकों को और बेहतर करने की जरूरत है. 

भारत ग्रीन हाइड्रोजन सेक्टर में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है. सरकार की नीतियां, स्टार्ट-अप्स को मिल रहा समर्थन और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात की संभावनाएं इस क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत बना रही हैं. अगर भारत अपनी गति बनाए रखता है और रणनीतिक साझेदारी पर ध्यान देता है, तो आने वाले वर्षों में देश ग्रीन हाइड्रोजन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन सकता है.

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