अनोखा मंदिर, जहां विराजमान हैं बिना सूंड वाले भगवान गणेश, यहां भक्त लिखते हैं अपनी मनोकामना की चिट्ठी
क्या आपने कभी बिना सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति देखी है? जयपुर का गढ़ गणेश मंदिर सिर्फ अपनी अद्वितीय मूर्ति के लिए ही नहीं बल्कि भक्तों की मन्नत पूरी करने वाली चिट्ठी लिखने की परंपरा के लिए भी प्रसिद्ध है. क्या आप जानते हैं कि इस अनोखे मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए क्या खास करते हैं?
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भारत में गणेश जी की पूजा हर घर में होती है, लेकिन क्या आपने कभी बिना सूंड वाले गणेश जी के दर्शन किए हैं? ऐसा अद्भुत रूप आपको केवल एक ही मंदिर में देखने को मिलेगा.यह मंदिर है गढ़ गणेश मंदिर, जो जयपुर, राजस्थान में स्थित है.
क्यों है यह मंदिर खास?
गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने किया था.कहा जाता है कि उन्होंने अश्वमेध यज्ञ करने के बाद इस मंदिर की स्थापना की थी.मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान गणेश की मूर्ति बिना सूंड के है, जो अन्य सभी गणेश मूर्तियों से अलग है.यह मूर्ति “पुरुषाकृति” रूप में है, जो भगवान गणेश के बाल रूप का प्रतीक है.
बिना सूंड वाले गणेश जी का रहस्य
मंदिर में विराजमान गणेश जी की मूर्ति में सूंड नहीं है, जो एक अनोखी विशेषता है.स्थानीय मान्यता के अनुसार, यह मूर्ति भगवान गणेश के बाल रूप का प्रतीक है, जिसे “पुरुषाकृति” कहा जाता है.महाराजा जय सिंह द्वितीय ने इस रूप में मूर्ति की स्थापना की थी, ताकि यह रूप विशेष रूप से जयपुर शहर की रक्षा और समृद्धि का प्रतीक बने.
चिट्ठी लिखकर मांगते हैं मन्नत
गढ़ गणेश मंदिर में एक अनोखी परंपरा है, जहां भक्त अपनी मन्नत या मनोकामना की चिट्ठी लिखकर भगवान गणेश के चरणों में अर्पित करते हैं.यह परंपरा सदियों पुरानी है और भक्तों का विश्वास है कि भगवान गणेश उनकी चिट्ठी पढ़कर उनकी मन्नत पूरी करते हैं.विशेष रूप से बुधवार के दिन मंदिर में भक्तों की संख्या अधिक होती है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है.
क्यों है यह स्थल आकर्षण का केंद्र?
- स्थान: मंदिर अरावली पहाड़ियों पर स्थित है, जो जयपुर शहर से लगभग 500 फीट ऊँचा है.
- चढ़ाई: मंदिर तक पहुँचने के लिए 365 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जो वर्ष के 365 दिनों का प्रतीक हैं.
- दर्शन: मंदिर से जयपुर शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, जो भक्तों को आकर्षित करता है.
- अन्य मूर्तियाँ: यहाँ भगवान गणेश की पत्नी रिद्धि और सिद्धि तथा उनके पुत्र लाभ और शुभ की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं.
क्यों है गढ़ गणेश मंदिर विशेष?
गढ़ गणेश मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जयपुर शहर की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है.यहां की अनोखी मूर्ति, भक्तों की चिट्ठी लिखने की परंपरा और मंदिर की वास्तुकला इसे एक विशेष स्थल बनाती है.यदि आप जयपुर यात्रा पर हैं, तो इस मंदिर के दर्शन करना न भूलें.
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