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Madhya Pradesh : ‘टाइगर स्टेट’ के 5 सबसे शानदार टाइगर रिजर्व्स जहां जंगल सफारी का रोमांच बरकरार है

मध्य प्रदेश, जिसे भारत का टाइगर स्टेट कहा जाता है, वाइल्डलाइफ लवर्स के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है. यह अपनी अद्भुत खूबसूरती और रोमांचक जंगल सफारी के लिए मशहूर हैं. घने जंगलों, झरनों और वन्यजीवों के बीच घूमते हुए यहां टाइगर को करीब से देखने का अनुभव हर किसी के लिए यादगार बन जाता है.

मध्य प्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ यूं ही नहीं कहते. 2022 के टाइगर सेंसस में यहां 785 बाघ गिने गए, जो देश में सबसे ज्यादा हैं. घने जंगल, नदियां और पहाड़ यहां बाघों का पक्का ठिकाना हैं. साथ ही, जंगल सफारी का मजा लेने वालों के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं.

अगर आप बाघ देखना चाहते हैं और प्रकृति के बीच वक्त बिताना है, तो ये 5 टाइगर रिजर्व आपके लिए परफेक्ट हैं. जीप सफारी, पैदल ट्रेल्स और बोट राइड्स के साथ बाघ, तेंदुआ, बारासिंगा और ढेर सारे पक्षी देखने को मिलेंगे.

कान्हा टाइगर रिजर्व

मंडला और बालाघाट में बसा कान्हा (कुल क्षेत्र: 940 वर्ग किमी) वो जगह है, जहां से ‘जंगल बुक’ की कहानी प्रेरित हुई. घने साल के जंगल, खुले मैदान और बांस के झाड़ियों में 100 से ज्यादा बाघ हैं. सफारी में बारासिंगा (स्वैंप डियर) दिखता है, जो पहले कम था, पर अब संरक्षण से हजारों की तादाद में है. जीप सफारी के अलावा नेचर वॉक और बर्डवॉचिंग का मजा लें. बेस्ट टाइम: अक्टूबर से जून.

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व

उमरिया में बांधवगढ़ (कुल क्षेत्र: 1,032 वर्ग किमी) भारत का सबसे ज्यादा बाघ वाला इलाका है. हर 100 वर्ग किमी में 50 से ज्यादा बाघ! पुरानी गुफाएं, बांधवगढ़ किले के खंडहर और घास के मैदान सफारी को और रोमांचक बनाते हैं. ताला जोन में बाघ दिखने की सबसे ज्यादा उम्मीद है. स्लॉथ बेयर, जंगली कुत्ते और रंग-बिरंगे पक्षी भी दिखेंगे. सुबह-शाम जीप सफारी होती है. बेस्ट टाइम: फरवरी से मई.

पेंच टाइगर रिजर्व

सिवनी जिले में पेंच (कुल क्षेत्र: 1,179 वर्ग किमी) मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर है. पेंच नदी के किनारे टीक के जंगल, घुमावदार मैदान और बाघों-तेंदुओं का बसेरा है. मशहूर बाघिन ‘कॉलरवाली’ ने यहां 29 से ज्यादा शावक पैदा किए. जीप सफारी के साथ कैनोइंग और नेचर ट्रेल्स का ऑप्शन है. 300 से ज्यादा पक्षी प्रजातियां भी हैं. बेस्ट टाइम: नवंबर से मार्च.

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व

शंगाबाद में सतपुड़ा (कुल क्षेत्र: 1,427 वर्ग किमी) कम भीड़ वाला और शांत रिजर्व है. पहाड़, घाटियां, नदियां और जंगल इसे खास बनाते हैं. सोनभद्रा नदी पर बाघों को तैरते देख सकते हैं. खासियत: पैदल सफारी, बोट राइड और साइकिलिंग. रोज सिर्फ 12 गाड़ियों को इजाजत है. स्लॉथ बेयर, तेंदुआ और जंगली भैंस भी दिखते हैं. बेस्ट टाइम: जनवरी से अप्रैल.

पन्ना टाइगर रिजर्व

पन्ना और छतरपुर में केन नदी के पास पन्ना (कुल क्षेत्र: 1,011 वर्ग किमी) कभी बाघ-रहित हो गया था, पर अब 70 से ज्यादा बाघ हैं. झरने, गोरेज और मिश्रित जंगल इसे खूबसूरत बनाते हैं. पुराने रॉक आर्ट भी देखने लायक हैं. जीप सफारी, नेचर वॉक और बर्डिंग का मजा लें. तेंदुआ, चीतल और 200+ पक्षी प्रजातियां हैं. बेस्ट टाइम: अक्टूबर से जून.

मध्य प्रदेश के ये रिजर्व क्यों हैं खास?

सफारी टिप्सये 5 रिजर्व मध्य प्रदेश की 9 टाइगर रिजर्व में सबसे टॉप हैं, जहां बाघ दिखने की 80% से ज्यादा संभावना है. ऑनलाइन बुकिंग (mpforest.gov.in) जरूरी है. गाइड के साथ सफारी करें. प्लास्टिक-फ्री रहकर संरक्षण में मदद करें. मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के मुताबिक, ये सफारी न सिर्फ मजेदार हैं, बल्कि बाघों को बचाने में भी योगदान देती हैं. तो, अगली ट्रिप प्लान करें और ‘टाइगर स्टेट’ का रोमांच जी लें! 

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