सावन – शिव जी का प्रिय महीना : श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है. इस समय शिव भक्ति जल्दी फल देती है. भक्तों को मिलती है उनकी विशेष कृपा.
समुद्र मंथन से जुड़ा है रहस्य : पौराणिक कथा के अनुसार सावन में समुद्र मंथन हुआ था. जब हलाहल विष निकला, शिव जी ने उसे पी लिया. इससे उनका गला नीला पड़ा और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए.
विष के प्रभाव को शांत करने हेतु जलाभिषेक : शिव जी ने विष को गले में धारण कर लिया था. उनके ताप को शांत करने के लिए देवताओं ने जल चढ़ाया. तभी से सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.
इस माह में होती है विशेष ऊर्जा : श्रावण मास में प्रकृति शांत, शुद्ध और उर्जावान होती है. भक्ति और साधना का यह श्रेष्ठ समय माना गया है. शिव साधना से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं.
सावन में क्यों रखा जाता है सोमवार का व्रत? सावन के सोमवार शिव को समर्पित होते हैं. कन्याएं योग्य वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं. सभी भक्त शिव कृपा की प्राप्ति हेतु यह उपवास रखते हैं.
इस माह में देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया था. इससे भी यह महीना पवित्र माना जाता है.
क्या चढ़ाएं शिव को इस माह? बेलपत्र, जल, दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल चढ़ाएं. धतूरा, भांग और सफेद फूल शिव को अत्यंत प्रिय हैं. इनसे किया गया अभिषेक पुण्यदायक होता है.
शिव जी को प्रिय हैं व्रत और संयम : सावन में व्रत, उपवास और जप-तप को विशेष पुण्यकारी माना गया है. सोमवार का व्रत शिव को अत्यंत प्रिय होता है. कन्याएं इस व्रत से योग्य वर की कामना करती हैं.
क्यों होती है जल्दी कृपा? शिव जी को ‘आशुतोष’ यानी तुरंत प्रसन्न होने वाला देव कहा गया है. सावन में की गई भक्ति उन्हें जल्दी प्रसन्न करती है. वे भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
शिव भक्ति का फलदायक महीना : श्रद्धा, संयम और सेवा से शिव भक्ति करें. सावन का हर दिन ईश्वर से जुड़ने का सुंदर अवसर है. हर हर महादेव के साथ करें शिव का स्मरण.
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