हर शिवभक्त के गले में दिखता है रुद्राक्ष लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई? चलिए जानते हैं रुद्राक्ष की पवित्र कहानी..
रुद्राक्ष एक पवित्र और धार्मिक बीज होता है, जो विशेष रूप से भगवान शिव से जुड़ा हुआ माना जाता है.
रुद्राक्ष” शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है. रुद्र: भगवान शिव का एक नाम और अक्ष: आँख या अश्रु (आँसू). इसका शाब्दिक अर्थ है — भगवान रुद्र (शिव) के आँसू.
पौराणिक कथा : शिवजी की तपस्या के दौरान गिरे आंसुओं से धरती पर रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई. तब से इसे शिव का प्रतीक माना गया.
आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाता है : रुद्राक्ष से निकलने वाली ऊर्जा मन को शांति और आत्मा को बल देती है. ध्यान और साधना में मददगार.
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा : रुद्राक्ष बुरे विचारों और बुरी शक्तियों से बचाता है. शिवभक्तों के लिए यह एक रक्षा कवच है. पहनने से सकारात्मकता बढ़ती है.
मानसिक एकाग्रता में सहायक : यह एकाग्रता और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है. विद्यार्थियों और साधकों के लिए विशेष लाभकारी. मन को भटकने से रोकता है.
स्वास्थ्य में लाभदायक : रुद्राक्ष पहनने से ब्लड प्रेशर, तनाव में राहत मिलती है. यह शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है. आध्यात्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक लाभ भी हैं.
शिवभक्ति का प्रतीक : रुद्राक्ष पहनने से शिवभक्ति और भी गहरी होती है. यह श्रद्धा और विश्वास का चिन्ह है. शिव से आत्मिक जुड़ाव बढ़ता है.
हर प्रकार के रुद्राक्ष का अलग महत्व : एकमुखी से लेकर 21मुखी रुद्राक्ष तक, हर प्रकार का रुद्राक्ष अलग ऊर्जा देता है. उचित विधि से धारण करना ज़रूरी.
अगर आप सच्चे शिवभक्त हैं, तो रुद्राक्ष धारण कर शिव की कृपा पाएं. ऐसी और जानकारियों के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ! हर हर महादेव...
Download App