पैंगोंग झील: लेह से लगभग 160 किमी और समुद्र तल से 4350 मिटर की ऊंचाई पर स्थित, पैंगोंग त्सो जो भारत से चीन तक फैली हुई है, अपने बदलते रंगों और नीले पानी के लिए मशहूर है. इस झील के किनारे कैंपिंग और तारों भरी रात का आनंद लेना न भूलें.
नुब्रा घाटी: नुब्रा वैली लेह से लगभग 160 किमी की दूरी पर है. जहाँ रेगिस्तान और बर्फ एक साथ मिलते हैं! सफेद रेत के टीले, ऊँट की सवारी और डिस्किट मठ से मनमोहक दृश्य. दो कूबड़ वाले ऊँट की सवारी का आनंद लेना ना भूलें.
त्सो मोरीरी झील: त्सो मोरीरी कम भीड़भाड़ वाली, लेकिन बेहद सुंदर और ऊँचाई पर स्थित यह झील आपको मंत्रमुग्ध कर देगी. आपको प्रवासी पक्षियों और जंगली जानवरों की झलक देखने को मिलेगी.
मैग्नेटिक हिल: मैग्नेटिक हिल एक रहस्यमयी जगह है, जहाँ गाड़ी बिना इंजन ऑन किए ही ऊपर चढ़ती दिखती है. अपनी गाड़ी को यहाँ रोककर ये नाज़ारा जरूर देखें.
लेह पैलेस : राजसी विरासत का एहसास, लेह शहर के दिल में बसा यह महल आपको प्राचीन लद्दाखी संस्कृति से रूबरू कराता है. यहाँ से पूरे लेह शहर का शानदार व्यू मिलता है.
खारदुंग ला पास: दुनिया की सबसे ऊँची रोड पर एडवेंचर! बाइकर्स का सपना होता है कि यहाँ की ऊँचाई और दिल छू जाने वाले नज़ारों के बीच ड्राइव की जाए. लेकिन, यहां थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि अधिक ऊंचाई होने के कारण ऑक्सीजन की कमी हो सकती है.
हेमिस मठ : ध्यान, रंग और संस्कृति समाहित किए यह मठ लद्दाख का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है, जहाँ हर साल हेमिस फेस्टिवल मनाया जाता है. मठ संग्रहालय जरूर देखें, यहां आपको दुर्लभ वस्तुएं देखने को मिलेंगी.
शांति स्तूप: सूर्यास्त में शांति का अनुभव कराते इस स्तूप से दिखता है लेह का खूबसूरत नज़ारा, खासकर सूरज ढलते समय. हालांकि सीढ़ियों से चढ़ना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन जिन्हें रोमांच पसंद है उनके लिए ये परफेक्ट है.
लामायुरू मूनलैंड : धरती पर चाँद सा नज़ारा! यहाँ की ज़मीन का रंग और बनावट चाँद जैसी लगती है, अगर आप मैदानी इलाकों से जा रहे हैं तो आपको यहां एकदम अनूठा या फिर यूं कहें कि जन्नत जैसा नजारा महसूस होगा. रास्ते में फोटोग्राफी के लिए कई शानदार पॉइंट्स मिलेंगे.
अलची मठ: 1000 साल पुरानी कला, अलची मठ की दीवारों पर बनी प्राचीन चित्रकला और वास्तुकला आपको मंत्रमुग्ध कर देगी. पास ही सिंधु नदी के किनारे शांत स्थान है, जोकि ध्यान के लिए एकदम उपयुक्त.
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