लद्दाख की सुकून देने वाली बहती ठंडी हवाओं के बीच, एक घाटी ऐसी है जो टूरिस्ट मैप से लगभग गायब है, जिसे तुरतुक कहते है. यह भारत के सबसे रहस्यमयी गाँवों में से एक है.
अगर आप भीड़ से दूर शांति, संस्कृति और सौंदर्य की तलाश में हैं, तो तुरतुक आपको हर उस चीज़ का अनुभव देगा जो “असल यात्रा” कहलाती है.
तुरतुक, भारत के आखिरी गाँवों में से एक है. यह LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) के बिल्कुल पास, पाकिस्तान की सीमा के करीब बसा है. यहाँ जाने के लिए परमिशन की ज़रूरत होती है.
अगर आप तुरतुक घूमने का प्लान कर रहे हैं तो मई से सितंबर के बीच का समय यहां जाने के लिए बेस्ट है. इस समय घाटी में हरियाली होती है, फलों के बाग़ फले रहते हैं. सुंदर वादियों में खुबानी, सेब और शहतूत के बाग आपके स्वागत के लिए बांहे फैलाए खड़े मिलेंगे.
नवंबर के बाद यहां बर्फबारी शुरू हो जाती है, जिससे सड़कें बंद हो सकती हैं. इस दौरान यहां का तापमान -10°C से भी नीचे चला जाता है.
तुरतुक में बहती हवा एकदम स्वच्छ होती है, जो आपके अंतर्मन को हील कर देती. यहां का पानी सीधा पहाड़ों से आता है, और खाना बाग़ से थाली तक. यहाँ का हर स्वाद असली और प्राकृतिक होता है.
तुरतुक की स्थनीय जनता की बात करें तो यहां के लोग बेहद सरल, मेहमाननवाज़, संस्कृति से जुड़े और इतिहास में खास महत्व रखते हैं. यहाँ के बुज़ुर्ग आज भी उस दिन को याद करते हुए अपने अनुभव बताते हैं, जब उन्होंने सरहद बदलते देखी थी.