हिम तेंदुआ : यह लद्दाख का सबसे रहस्यमयी शिकारी है. इसे बर्फीली चोटियों का राजा भी कहा जाता है. इसकी फर इतनी मोटी होती है कि यह -40 तक के ठंडे मौसम में भी जीवित रह सकते है. यह दिन के बजाय ज़्यादातर रात में शिकार करते है. हालांकि लद्दाख में अब महज 200 के करीब ही हिम तेंदुआ बचे हैं.
कियांग : दुनिया का सबसे बड़ा जंगली गधा, जो बहुत तेज दौड़ता है. इनके लाल-भूरे रंग का शरीर और सफेद पेट इनको खास बनाते है. इसे स्थानीय भाषा में कियांग कहा जाता है. इनके झुंड खुले मैदानों में बड़े पैमाने पर घूमते हैं. ये मुख्य रूप से लद्दाख, चांगथांग के मैदानी इलाकों में रहते हैं
ब्लू शीप : ये चट्टानी इलाकों में रहते हैं, और हिम तेंदुए का मुख्य शिकार हैं। उनका रंग नीला जैसा दिखता हैं, इसलिए इसे ब्लू शीप कहा जाता है. लद्दाख के जांस्कर और हेमिस जैसे इलाकों में ब्लू शीप का झुंड देखने को मिलता है. इनकी चाल फुर्तीली और संतुलित होती है.
हिमालय भूरा भालू : यह भालू दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजाति है. ये बहुत बड़े और शक्तिशाली होते हैं, और अधिकतर अकेले रहते हैं. यह प्रजाति संरक्षण के लिए प्रमुख है क्योंकि भारत मे सिर्फ 500 के आस-पास हिमालय भालू बचे है. लद्दाख के ड्रमबुक क्षेत्र में दुर्लभ अवसर पर देखा जा सकता है.
मार्मोट : ये छोटे, गोल-मटोल जानवर हैं जो जमीन के नीचे बिल बनाकर रहते हैं. इनकी चहचहाहट और मिलनसार स्वभाव पर्यटकों को आकर्षित करता है. लेह मे पैंगोंग झील के पास अक्सर इनसे मिलना संभव होता है.
तिब्बती भेड़िया : यह शिकारी तेज, चालाक और बहुत रहस्यमयी होता है. अक्सर अकेला या छोटे झुंड में पाया जाता है. इसे देखना बहुत दुर्लभ होता है, जिससे इसकी पॉपुलरिटी और रोमांच बढ़ता है. हेमिस और चांगथांग क्षेत्र में खासकर सुबह-शाम देखा जा सकता है.
याक : ये बड़े और शक्तिशाली जानवर हैं जो हिमालय के कठोर मौसम में भी जीवित रहते हैं. लद्दाख में ग्रामीण जीवन का अहम हिस्सा हैं. याक की सवारी और उनके साथ फोटो लेना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है।
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