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टेस्ट मैच में स्टॉप क्लॉक रूल, नो बॉल, DRS समेत ICC ने बदले क्रिकेट के 7 बड़े नियम

क्रिकेटिंग सीजन के बीच इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी ने खेल के कई नियमों में बदलाव को मंजूरी दी है. इसमें बाउंड्री से जुड़े नियम और वनडे इंटरनेशनल में 35 ओवर के बाद सिर्फ एक गेंद का इस्तेमाल करना शामिल है.

27 Jun, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
02:51 AM )
टेस्ट मैच में स्टॉप क्लॉक रूल, नो बॉल, DRS समेत ICC ने बदले क्रिकेट के 7 बड़े नियम

क्रिकेटिंग सीजन के बीच इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी ने खेल के कई नियमों में बदलाव को मंजूरी दी है. इसमें बाउंड्री से जुड़े नियम और वनडे इंटरनेशनल में 35 ओवर के बाद सिर्फ एक गेंद का इस्तेमाल करना शामिल है. वहीं कुछ नियम वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के नए चक्र (2025-27) से लागू हो गए. वहीं व्हाइट बॉल क्रिकेट से जुड़े नियम 2 जुलाई से प्रभावी होंगे.

टेस्ट क्रिकेट में स्टॉप क्लॉक रूल लागू

व्हाइट बॉल क्रिकेट की तरह अब टेस्ट क्रिकेट में भी आईसीसी ने स्टॉप क्लॉक रूल लागू करने का फैसला किया है. अब हर ओवर के बाद अगला ओवर 60 सेकंड के भीतर शुरू करना होगा. देरी होने पर पहली दो बार चेतावनी मिलेगी. वहीं तीसरी बार देरी होने पर बल्लेबाजी करने वाली टीम को 5 रन पेनल्टी के तौर पर दिए जाएंगे. हर 80 ओवर के बाद ये वॉर्निंग रीसेट हो जाएगी, यानी फिर से दो बार अंपायर वॉर्निंग दे सकता है. घड़ी को 0 से 60 तक ऊपर की ओर गिना जाएगा, यानी सीधी गिनती होगी. यह रूल वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के नए चक्र की शुरुआत से लागू हो गया है.

स्लाइवा से जुड़े नियम में बदलाव 

गेंद पर लार यानी स्लाइवा के इस्तेमाल पर पाबंदी जारी रहेगी, लेकिन लार से संबंधित नियम में कुछ बदलाव किया गया है. अब यदि गेंद पर किसी खिलाड़ी ने लार लगाया, तो अंपायर तुरंत गेंद नहीं बदलेगा. अगर गेंद बहुत गीली हो जाए या उसमें ज्यादा चमक हो, तभी गेंद बदली जाएगी. नियम में बदलाव इसलिए हुआ है ताकि कोई खिलाड़ी जानबूझकर लार लगाकर बॉल चेंज कराने की कोशिश न करे. अगर स्लाइवा का असर नहीं दिखा तो गेंद नहीं बदली जाएगी. अगर उसके बाद गेंद में खास मूवमेंट दिखा, तब भी गेंद नहीं बदली जाएगी. लेकिन बल्लेबाजी टीम को 5 रन पेनल्टी के तौर पर मिलेंगे.

डीआरएस से जुड़े नियम में बदलाव 

DRS (डीआरएस) से जुड़े रूल में भी बदलाव हुआ. उदाहरण के लिए किसी बल्लेबाज को कैच आउट दिया जाता है और उसने DRS लिया. फिर अल्ट्राएज में दिखा कि गेंद बैट पर नहीं लगी, सिर्फ पैड पर लगी थी. ऐसे में टीवी अंपायर पहले के नियमानुसार सिर्फ LBW की जांच करता. अगर अंगर अंपायर्स कॉल आता, तो बल्लेबाज को नॉट आउट माना जाता था. लेकिन अब एलबीडब्ल्यू जांच में भी मूल निर्णय आउट रहेगा. यानी अगर एलबीडब्ल्यू चेक के दौरान अंपयार्स कॉल आता है तो बल्लेबाज आउट माना जाएगा. 

दोहरे अपील के नियम में बदलाव 

दोहरे (combined) रिव्यू में अब घटनाक्रम के हिसाब से निर्णय होगा. पहले यदि एक ही गेंद पर दो अपील (जैसे- पहले LBW, फिर रन आउट) होती थी, तो अंपायर की ओर से लिए गए रिव्यू की पहले जांच की जाती थी, फिर खिलाड़ी की. लेकिन अब जिस चीज की अपील पहले हुई, उसे जांचा जाएगा. अगर पहली जांच में ही बैटर आउट तय हो जाता है, तो गेंद डेड मानी जाएगी और दूसरी घटना की जांच नहीं होगी. यानी एलीबडब्ल्यू की पहले अपील हुई और खिलाड़ी LBW आउट हो जाता है, तो रन आउट की जांच नहीं की जाएगी.

नो बॉल पर कैच आउट होने के नियम में बदलाव 

पहले के नियमानुसार यदि कोई खिलाड़ी कैच लेता था और उसके बाद थर्ड अंपायर ये बताया था कि वो गेंद नो-बॉल थी, तो ये जांच नहीं होती थी कि कैच सही से पकड़ा गया है या नहीं. लेकिन अब टीवी अंपायर नो-बॉल के बावजूद यह देखेगा कि कैच सफाई से लिया गया है या नहीं. अगर कैच सफाई से लिया होगा तो बल्लेबाज आउट नहीं होगा, लेकिन टीम को नो-बॉल होने के चलते सिर्फ एक रन मिलेगा. अगर कैच सही से नहीं पकड़ा गया तो बल्लेबाज ने उस दौरान जितने रन दौड़कर लिए, वे सभी मिलेंगे.

शॉर्ट रन लेने के नियम में बदलाव 

अगर बल्लेबाज स्ट्राइकर एंड पर बने रहने के लिए जानबूझकर शॉर्ट रन लेता है, तो विपक्षी टीम को 5 रन पेनल्टी के तौर पर मिलते हैं. अब बदले नियम के अनुसार विपक्षी टीम को 5 रन की पेनल्टी तो मिलेगी ही. साथ ही फील्डिंग टीम ही तय करेगी कि अगली गेंद पर कौन सा बल्लेबाज स्ट्राइक पर रहेगा.

घरेलु मैचों के नियम में बदलाव 

अब घरेलू फर्स्ट-क्लास मैच में अगर कोई खिलाड़ी गंभीर रूप से बाहरी चोट का शिकार होता है, तो उस मुकाबले में उस चोटिल खिलाड़ी जगह फुल टाइम रिप्लेसमेंट के तौर पर किसी प्लेयर को उतारा जा सकता है. हालांकि खिलाड़ी की चोट साफ तौर पर दिखनी चाहिए. बदलाव भी लाइक फॉर लाइक होना चाहिए- जैसे बल्लेबाज की जगह बल्लेबाज. चोट हल्की या अंदरूनी (जैसे हैमस्ट्रिंग) है तो रिप्लेसमेंट नहीं मिलेगा. यह नियम फिलहाल केवल ट्रायल के तौर पर है. ये सदस्य देशों की मर्जी पर है कि वे इसे लागू करेंगे या नहीं.

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