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फ्रांस की एक जिद के चलते अटक सकती है राफेल डील! रूस के Su-57 पर भारत की नजर, जानिए पूरा मामला

‘सोर्स कोड’ को लेकर भारत और फ्रांस के बीच राफेल फाइटर जेट की डील अटक सकती है. ‘सोर्स कोड’ का मतलब, किसी भी हथियार, फाइटर जेट, मिसाइल या रडार का वह मूल सॉफ्टवेयर या प्रोग्रामिंग कोड जिससे वह ऑपरेट होता है. ये किसी भी आधुनिक तकनीक के लड़ाकू विमान की जान होता है. वही दूसरी तरफ रूस एसयू-57 की टेक्नोलॉजी भारत के साथ शेयर करने के लिए तैयार है.

28 May, 2025
( Updated: 06 Jun, 2025
12:55 PM )
फ्रांस की एक जिद के चलते अटक सकती है राफेल डील! रूस के Su-57 पर भारत की नजर, जानिए पूरा मामला
भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के दिनों में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान पाकिस्तान द्वारा चीन निर्मित PL-15E मिसाइल के जरिए भारत पर हमला करने का प्रयास किया. जिसे भारत ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम से तबाह कर दिया था. इसके पीछे की वजह यह रही कि चीन ने मिसाइल का 'सोर्स कोड' पाकिस्तान को नहीं दिया था, इस वजह से भारत के एयर डिफ़ेंस सिस्टम ने बड़ी ही आसानी से PL-15E को ब्लाक कर दिया. अब ऐसे ही ‘सोर्स कोड’ को लेकर भारत और फ्रांस के बीच राफेल फाइटर जेट की डील अटक सकती है. 

राफेल लड़ाकू विमान को लेकर जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक, फ्रांसीसी कंपनी 'डसॉल्ट एविएशन' राफेल लड़ाकू विमान का ‘सोर्स कोड’ भारत को देने को तैयार नहीं है. इसको लेकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत आगे फ्रांसीसी फाइटर जेट नहीं खरीदेगा. दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत अपनी सेना को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रहा है. भारत की कोशिश है कि राफेल विमानों में अपने स्वदेशी मिसाइलों को इंटीग्रेट करें लेकिन इसके लिए 'सोर्स कोड' की आवश्यकता पड़ती है, जिसे फ्रांस देने को तैयार नहीं है. इससे पहले भी भारत ने स्वदेशी लड़ाकू विमान ‘कावेरी’ के लिए जब फ्रांस से मदद मांगी तो उसने मना कर दिया. इसके बाद भारत ने अपने आजमाए हुए दोस्त रूस का रूख किया. अब कावेरी टर्बोफ़ैन का इंजन टेस्ट रूस में इल्यूशिन 11-76 एयरक्राफ्ट में लगा रहा है. बता दें कि किसी भी फाइटर जेट का इंजन टेस्ट करने के लिए अलग इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ती है, जो फ्रांस के पास भी थी. लेकिन उनसे मना किया और रूस ने साथ दिया. 

क्या राफेल की डील होगी कैंसिल?

राफेल को लेकर ओपन मैग्जीन ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि अगर राफेल का 'सोर्स कोड' फ्रांस शेयर नहीं करता है, तो ऐसा हो सकता है कि रूसी लड़ाकू विमान एसयू-57 खरीदने पर भारत विचार करेगा. इसके साथ ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एसयू-57 की टेक्नोलॉजी भारत के साथ शेयर करने के लिए तैयार हैं. बल्कि फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमान को बनाने वाली कंपनी इसे भारत में बनाने के लिए भी तैयार है. रूस की तरफ से तो यह तक कह दिया गया है कि अगर भारत सरकार चाहे तो, इसी साल विमान को बनाने की शुरुआत भारत में कर दी जाएगी. यानी भारत की स्वदेशी तकनीक और मेक इन इंडिया पर रूस आंख बंद करके भरोसा कर रहा है. यही वजह है कि ओपन मैग्जीन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत अब फ्रांस के साथ 26 राफेल मरीन के सौदे पर पुनर्विचार कर रहा है. 

फ्रांस की चाल से भारत का मोह भंग! 

पाकिस्तान से हुई सैन्य संघर्ष के बाद रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए भारी भरकम बजट का ऐलान किया है. वही अब भारत हर हाल में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के भारत में लड़ाकू विमानों का उत्पादन लाइन स्थापित करना चाहता है. इसके लिए रूस पहले ही तैयार है. अब आपको बताते हैं कि आखिर 'सोर्स कोड' क्या है? जिसके चलते फ्रांस के राफेल से भारत का मोह भंग होता दिखाई दे रहा है. ‘सोर्स कोड’ का मतलब, किसी भी हथियार, फाइटर जेट, मिसाइल या रडार का वह मूल सॉफ्टवेयर या प्रोग्रामिंग कोड जिससे वह ऑपरेट होता है. ये किसी भी आधुनिक तकनीक के लड़ाकू विमान की जान होता है. इस लिहाज से अगर फ्रांस सोर्स कोड देने को तैयार होता है तो, भारत उसमें स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर कस्टमाइजेशन, भारतीय रडार या सैटेलाइट नेटवर्क से लिंकिंग को शामिल करने के साथ-साथ भविष्य में अपनी जरूरत के हिसाब से अपग्रेडेशन भी कर सकता है. बताते चलें कि भारत ने वायु सेना की ताकत को बढ़ाने के मकसद से सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने की डील की थी, जिसके तहत इसे खरीदा गया. राफेल बनाने वाली कंपनी ने भारत की जरूरत के मुताबिक इसको कस्टमाइज किया था. लेकिन ‘सोर्स कोड’ नहीं दिया. इसकी वजह से राफेल में भारत अपने स्वदेशी हथियारों को शामिल करना चाहे तो, पहले उसे इसको बनाने वाली कंपनी से बात करनी होगी. इसके पहले भी मिराज लड़ाकू विमान का सोर्स कोड भी फ्रांस ने भारत को नहीं सौंपा था. 

बताते चलें कि 'सोर्स कोड' को लेकर फ्रांस के अड़ियल रवैये के चलते राफेल की डील कैंसिल हो जाए तो कोई ताज्जुब नहीं होगा. भारतीय नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर इस हफ्ते रूस में रहेंगे और कयास लगाया जा रहा है कि कुछ और यूनिट एस-400 एयर डिफ़ेंस सिस्टम खरीदने को लेकर डील हो सकती है. इसके अलावा कुछ ऐसी डील भी हो सकती है जो चीन और पाकिसान के होश उड़ा दें, क्योंकि रूस भारत के साथ मेक इन इंडिया पर भरोसा करते हुए अकसर टेक्नोलॉजी शेयर करने के लिए तैयार हो जाता है. इसलिए एसयू-57 भारत के लिए एक शानदार सौदा हो सकता है.

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