भारत-चीन रिश्तों का नया अध्याय, PM मोदी के दौरे से पहले सीमा पर शांति, व्यापर और सीधी उड़ान समेत जानें किन-किन मुद्दों पर बनी बात!
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ मार से दुनिया भर में उथल-पुथल मची हुई है. इन सब के बीच भारत और चीन ने फिर से दोस्ती को नया आयाम देने का फैसला किया है. भारत दौरे पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ मंगलवार को हुई बातचीत में दोनों देश फिर से सीधी उड़ानें शुरू करने, सीमा पर शांति स्थापित करने और व्यापार एवं निवेश बढ़ाने पर सहमत हुए हैं.
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भारत-चीन दोनों पड़ोसी देशों के बीच रिश्तों और भरोसे में ये नरमी 2020 में सीमा पर हुए टकराव से तनावग्रस्त हुए संबंधों को फिर से सुदृढ़ करने की कोशिश है. बड़ी बात ये है कि ये अहम प्रगति ऐसे वक्त में हुई है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महीने के अंत में चीन दौरे पर जाने वाले हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति की अप्रत्याशित विदेश नीति के मद्देनजर, दोनों एशियाई देश उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय यात्राओं की एक श्रृंखला आयोजित करते हुए संबंधों को मजबूत कर रहे हैं.
भारत-चीन में शुरू होंगी सीधी उड़ानें, सीमा व्यापार पर बात
2020 में COVID-19 महामारी के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें निलंबित हैं लेकिन अब दोनों देश उसे फिर से शुरू करने जा रहे हैं. हालांकि, उड़ानें फिर से शुरू होने की कोई तारीख नहीं बताई गई है. दोनों देशों ने पर्यटकों, व्यवसायियों, मीडिया और अन्य आगंतुकों के लिए वीज़ा सुविधा पर भी सहमति जताई है.
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार देर रात बताया कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी की दो दिन की भारत यात्रा के दौरान विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता और विदेश मंत्रियों की द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच अनेक मुद्दों पर सहमति बनी है. विदेश मंत्रियों की बैठक में दोनों पक्षों ने तीन निर्दिष्ट व्यापारिक बिन्दुओं लिपुलेख दर्रा, शिपकी ला दर्रा और नाथू ला दर्रा, के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से खोलने पर सहमति व्यक्त की है. इसके अलावा दोनों पक्ष ठोस उपायों के माध्यम से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश प्रवाह को सुगम बनाने पर सहमत हुए हैं.
शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी
विदेश मंत्रालय ने बताया कि सीमा वार्ता में दोनों देशों द्वारा अपनी हिमालयी सीमा पर तैनात सैनिकों को वापस बुलाने, सीमाओं के सीमांकन और सीमा संबंधी मामलों पर भी चर्चा हुई. चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी एक बयान में बताया गया है कि दोनों देश सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य समूह गठित करने पर सहमत हुए हैं ताकि सीमांकन वार्ता को आगे बढ़ाया जा सके. इसमें कहा गया है कि यह तंत्र सीमा के पूर्वी और मध्य भागों को भी शामिल करेगा. इस बीच, मंत्रालय ने कहा कि पश्चिमी भाग पर जल्द से जल्द एक और दौर की वार्ता आयोजित की जाएगी.
बीजिंग ने यह भी कहा कि दोनों देश 2026 में चीन में फिर से मिलने पर सहमत हुए हैं. वांग से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, "भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे." बता दें कि पीएम मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं. सात वर्षों से भी अधिक समय में यह उनकी पहली चीन यात्रा होगी.
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विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग के साथ अपनी बातचीत में तिब्बत में यारलुंग ज़ंगबो नदी पर चीन द्वारा बनाए जा रहे विशाल बाँध के संबंध में भारत की चिंताओं को उनके सामने रखा. यारलुंग ज़ंगबो भारत और बांग्लादेश में बहते हुए ब्रह्मपुत्र नदी बन जाती है, जो लाखों लोगों के लिए जीवन रेखा है. नई दिल्ली ने कहा है कि इस बाँध का निचले तटवर्ती राज्यों पर प्रभाव पड़ेगा. इस पर चीन के विदेश मंत्रालय ने मानवीय आधार पर संबंधित नदियों पर आपातकालीन जलविज्ञान संबंधी जानकारी भारत के साथ साझा करने पर सहमति जताई है.
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