ईरान-इजरायल युद्ध से बढ़ेगी महंगाई, सूखे मेवे और मिठाइयों की कीमतों में होगा इजाफा
ईरान-इजराइल युद्ध का असर भारत पर दिखने लगा है. ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में उछाल और मिठाइयों की बढ़ती लागत से आम आदमी की जेब पर भार पड़ सकता है. जानें कैसे यह टकराव भारतीय व्यापार और खाद्य आपूर्ति को प्रभावित कर रहा है.

पश्चिम एशिया में ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव ने न सिर्फ राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि इसका सीधा असर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार पर भी पड़ रहा है. इस संघर्ष की आंच अब भारत तक पहुंच चुकी है, जहां खास तौर पर बासमती चावल और ड्राई फ्रूट्स से जुड़े व्यापारी चिंता में हैं.
बासमती चावल के निर्यातकों पर संकट के बादल
पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों से एक्सपोर्ट किए जाने वाले बासमती चावल की कई खेप इस समय समुद्री मार्ग से मध्य-पूर्व के देशों की ओर जा रही हैं.लेकिन जैसे-जैसे जंग की स्थिति गहराती जा रही है, इन व्यापारियों को डर सता रहा है कि कहीं जहाजों को बीच रास्ते से लौटना न पड़े. ऐसा होने की स्थिति में करोड़ों रुपये का नुकसान होने की संभावना है.
एक एक्सपोर्टर ने बताया -“हमने बड़ी मात्रा में चावल की खेप भेजी है. अगर तनाव बढ़ा और रास्ता बंद हुआ, तो जहाजों को मोड़ना पड़ेगा – इससे न केवल डिलीवरी में देरी होगी, बल्कि माल खराब होने का भी खतरा है,”.
ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में संभावित उछाल
केवल चावल ही नहीं, ईरान और अफगानिस्तान से आने वाले सूखे मेवे (ड्राई फ्रूट्स) की आपूर्ति पर भी इस टकराव का असर दिखने लगा है. व्यापारी पहले से ही अंदेशा जता रहे हैं कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे, तो काजू, बादाम, अंजीर और पिस्ता जैसे ड्राई फ्रूट्स की कीमतों में 15 से 20 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है.
अफगान ड्राई फ्रूट्स की वैकल्पिक आपूर्ति चुनौतीपूर्ण
अफगानिस्तान से भारत को भेजे जाने वाले अधिकतर ड्राई फ्रूट्स ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए आते हैं. पहले पाकिस्तान के रास्ते इनका आयात होता था, लेकिन मौजूदा हालात के चलते पाकिस्तान का रास्ता बंद हो चुका है. ऐसे में भारत को अब पूरी तरह ईरान पर निर्भर रहना पड़ता है, जो कि वर्तमान में सुरक्षित आपूर्ति मार्ग नहीं माना जा रहा.
“सरकार को चाहिए कि वो वैकल्पिक आपूर्ति मार्गों पर विचार करे और ईरान से आयातित माल पर लगने वाले शुल्क में राहत दे,” व्यापारिक संगठन की ओर से मांग की गई है.
दुनिया चाहती है कि बातचीत से इसका हल निकले
ईरान और इजराइल के बीच जारी ये संघर्ष न केवल व्यापारिक नुकसान का कारण बन रहा है, बल्कि वैश्विक अस्थिरता का खतरा भी बढ़ा रहा है. अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों ने इस तनाव को जल्द से जल्द खत्म करने की अपील की है.
हालांकि, इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति के बीच हुई चर्चा की खबरें सामने आ रही हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों नेताओं ने युद्ध को रोकने के लिए राजनयिक प्रयासों को तेज करने की बात कही है.
ईरान-इजराइल के बीच जारी संघर्ष का प्रभाव केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है, इसका असर वैश्विक व्यापार, खाद्य सुरक्षा और उपभोक्ताओं की जेब तक पहुंच रहा है. भारत जैसे देशों के लिए ये जरूरी हो गया है कि वो वैकल्पिक आपूर्ति चैनल और रणनीतिक साझेदारी पर काम करें, ताकि ऐसी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के प्रभाव को कम किया जा सके.