भारत ने ढूंढ ली ट्रंप के टैरिफ की काट, EAEU के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की शर्तों को दिया अंतिम रूप; फिर से ढाल बनेगा सदाबहार दोस्त!
भारत ने अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ का तोड़ निकाल लिया है. रूस एक बार फिर भारत का सहारा बना है. दरअसल, भारत और रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की बातचीत शुरू हो गई है. मॉस्को में हुए इस समझौते पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मौजूदगी में हस्ताक्षर हुए.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगाने के फैसले ने दोनों देशों के बीच तनाव को गहरा कर दिया है. लेकिन अब भारत ने इस चुनौती का तोड़ खोज लिया है. एक बार फिर भारत का सबसे भरोसेमंद दोस्त रूस उसके साथ खड़ा दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि भारत और रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता यानी FTA की दिशा में बातचीत तेज हो गई है.
दरअसल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों रूस दौरे पर हैं और इसी दौरान मॉस्को में भारत और EAEU ने FTA की वार्ता शुरू करने को लेकर संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किए. यह कदम न केवल भारत के लिए नए अवसर खोलेगा बल्कि अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच एक रणनीतिक संतुलन भी बनाएगा.
विदेश मंत्री ने दी जानकारी
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक की तस्वीरों को साझा करते हुए कहा "प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ भारत-रूस व्यापार मंच में शामिल होकर प्रसन्नता हुई. हमारे आर्थिक संबंधों की गहन संभावनाओं के संबंध में विभिन्न क्षेत्रीय नेताओं के आकलन और रिपोर्टों की सराहना करता हूँ. इस बात पर ज़ोर दिया कि एक स्थायी रणनीतिक साझेदारी में एक मज़बूत और टिकाऊ आर्थिक घटक होना चाहिए और इस संदर्भ में, हमारे व्यवसायों से अधिक व्यापार करने, अधिक निवेश और संयुक्त उद्यमों पर विचार करने और आर्थिक सहयोग के नए आयाम खोलने का आह्वान किया."
यूरेशिया ब्लॉक क्या है ?
यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) एक क्षेत्रीय आर्थिक समूह है जिसमें आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य और रूस शामिल हैं. इस ब्लॉक की खासियत है कि यह एशिया और यूरोप दोनों के बड़े हिस्से को जोड़ता है. EAEU का संयुक्त GDP करीब 6.5 ट्रिलियन डॉलर है. भारत के लिए यह सिर्फ नया बाजार नहीं बल्कि एक विशाल आर्थिक अवसर है. रूस इस ब्लॉक में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. भारत और EAEU के बीच कुल व्यापार का 92 फीसदी से अधिक हिस्सा अकेले रूस के साथ होता है. ऐसे में FTA का मतलब है कि भारत के निर्यातकों के लिए नए दरवाजे और छोटे उद्योगों से लेकर बड़े कॉरपोरेट तक के लिए बड़ा व्यापारिक प्लेटफॉर्म.
Pleased to join First DPM Denis Manturov and attend the India-Russia Business Forum.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 20, 2025
Appreciate the assessments and reports of various sectoral leaders regarding the deeper potential of our economic ties.
Reiterated that an enduring strategic partnership must have a strong… pic.twitter.com/GqOUUL0qlY
भारत-अमेरिका तनाव
जानकारी देते चलें कि पिछले कुछ समय में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मतभेद बढ़े हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर "अनुचित व्यापार प्रथाओं" का आरोप लगाते हुए कई वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगा दिया. इस कदम से भारतीय निर्यातकों पर असर पड़ा. यही वजह है कि भारत लगातार अपने बाजारों में विविधीकरण की कोशिश कर रहा है. हाल ही में भारत ने इंग्लैंड के साथ एक FTA साइन किया है और यूरोपीय संघ के साथ भी बातचीत चल रही है. अब EAEU के साथ समझौता भारत की इस रणनीति को और मजबूती देगा.
FTA से भारत को क्या फायदा?
इस प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते से भारत को कई फायदे होंगे और इससे अमेरिका को बुरा लगना तय है. क्योंकि भारत टैरिफ के दबाव में ना आकर विकल्प पर काम कर रहा है.
- नए बाजारों तक पहुंच – भारतीय वस्त्र, दवाइयां, कृषि उत्पाद और टेक्नोलॉजी को बड़े बाजार मिलेंगे.
- निवेश में बढ़ोतरी – EAEU देशों से भारत में निवेश बढ़ेगा और इसके उलट भारत भी वहां निवेश के अवसर तलाश सकेगा.
- MSME को सहारा – छोटे और मझोले उद्योगों को प्रतिस्पर्धा और एक्सपोर्ट का बड़ा मंच मिलेगा.
- रोजगार सृजन – खनन, कृषि, टेक्सटाइल और आईटी सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
- रणनीतिक संतुलन – अमेरिका और चीन के बढ़ते दबाव के बीच भारत को एक भरोसेमंद सहयोगी मोर्चा मिलेगा.
100 बिलियन डॉलर व्यापार का लक्ष्य
भारत और रूस ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. मौजूदा समय में यह 65 बिलियन डॉलर से थोड़ा ज्यादा है. FTA लागू होने पर इस लक्ष्य को हासिल करना आसान हो जाएगा. इसके अलावा, यह समझौता अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) जैसे बड़े बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट्स से भी जुड़ा होगा, जिससे भारत, रूस और मध्य एशिया के बीच व्यापारिक कनेक्टिविटी और मजबूत होगी.
यूरेशिया का भू-राजनीतिक महत्व
यूरेशिया दुनिया का सबसे बड़ा भूभाग है. पूर्व में प्रशांत महासागर से लेकर पश्चिम में अटलांटिक महासागर तक और उत्तर में आर्कटिक महासागर से दक्षिण में हिंद महासागर तक इसका विस्तार है. लगभग 55 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ यह विश्व के कुल भूभाग का करीब 36 फीसदी हिस्सा है. इतना बड़ा भौगोलिक और राजनीतिक क्षेत्र भारत के लिए केवल व्यापार ही नहीं बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है.
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बताते चलें कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव एक बड़ी चुनौती है. लेकिन भारत ने इसे अवसर में बदलते हुए रूस और EAEU के साथ FTA की दिशा में कदम बढ़ाया है. यह समझौता न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा बल्कि रोजगार, निवेश और निर्यात के नए रास्ते भी खोलेगा.
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