सावन में कई चीजें खाने की मनाही होती है. इनमें एक है आपकी पसंदीदा कढ़ी. जानिए इसके पीछे के धार्मिक और हेल्थ कारण.
कढ़ी में दही और बेसन का होता है मेल. सावन में तामसिक और खट्टी चीजें खाने से बचना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि यह पूजा-पाठ में रुकावट ला सकती है.
दही को सावन में अशुद्ध माना गया है. कहा जाता है कि इससे शरीर में आलस्य और गर्मी बढ़ती है. शिव भक्तों को इससे दूरी बनाने की सलाह दी जाती है.
बरसात में पाचन तंत्र होता है कमजोर. कढ़ी में खट्टा दही और बेसन मिलकर गैस पैदा कर सकते हैं. यह अपच और पेट दर्द का कारण बन सकता है.
मानसून में बैक्टीरिया का खतरा बढ़ जाता है. दही जल्दी खराब हो सकता है और फूड पॉइजनिंग का खतरा होता है. इसलिए कढ़ी खाने से परहेज बेहतर माना जाता है.
विकल्प क्या है? कढ़ी की जगह हल्का और सात्विक भोजन चुनें. जैसे मूंग दाल, खिचड़ी, हरी सब्ज़ियां. जो शरीर को शुद्ध और ऊर्जा से भरपूर रखें.
सावन में भोजन भी पूजा जितना पवित्र माना जाता है. कढ़ी जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज कर शिव भक्ति को पूर्ण बनाएं. सेहत और श्रद्धा दोनों का रखें ध्यान.
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