सावन का पावन महीना आ गया है. भक्ति, सुंदरता और सौभाग्य का संगम. जानिए कौन-कौन से श्रृंगार हैं शुभ इस मौसम में...
महेंदी : सावन में हरी महेंदी लगाना बहुत शुभ माना जाता है. यह सौंदर्य के साथ साथ सौभाग्य का प्रतिक है. महेंदी से शिव और पार्वती को प्रसन्न किया जाता हैं.
हरी चूड़ियाँ : हरी चूड़ियाँ सावन और सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं. ये स्त्रियों की मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होती हैं. हरियाली और नवजीवन का प्रतीक भी हैं.
बिंदी और सिंदूर : लाल बिंदी और सिंदूर सौभाग्य और समर्पण के प्रतीक हैं. ये श्रृंगार शिव-पार्वती के दिव्य प्रेम को दर्शाते हैं. श्रद्धा से किया गया हर श्रृंगार पूजा बन जाता है.
गजरा (फूलों का श्रृंगार) : जैस्मीन या मोगरे का गजरा सजना-संवरना नहीं, भक्ति है. फूलों की सुगंध घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है. देवी रूप में श्रृंगार करती स्त्रियाँ सौंदर्य की जीवित मूर्ति बनती हैं.
पारंपरिक वस्त्र : सावन में हरे या पीले पारंपरिक कपड़े पहनना शुभ है. ये रंग प्रकृति और देवी शक्ति से जुड़ाव का प्रतीक हैं. साड़ी, सलवार या लहंगा – हर रूप में निखरती है स्त्री.
पायल और बिछुए : पायल की छन-छन घर में सकारात्मकता फैलाती है. बिछुए स्त्री ऊर्जा के संतुलन का प्रतीक हैं. ये श्रृंगार ना सिर्फ सौंदर्य, बल्कि स्वास्थ्य से भी जुड़े हैं.
सावन का श्रृंगार सिर्फ सजना नहीं, श्रद्धा और शक्ति है. हर स्त्री जब भक्ति से सजती है, वह देवी का रूप बन जाती है. इस सावन, सजिए मन से… शिव और सौंदर्य दोनों के लिए. हर हर महादेव..