नवरात्रि की दशमी को मनाया जाने वाला दशहरा बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है.
जब भी दशहरा का नाम सुनने को मिलता है तो सबसे पहले रावण दहन और भगवान राम का ही दृश्य आँखों के सामने आता है.
ऐसे में लोग बड़े ही उत्साह के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं और स्वादिष्ट भोजन खाते हैं.
लेकिन इस दिन एक खास परंपरा को निभाया जाता है. ये परंपरा है पान और जलेबी खाने की, लेकिन क्या आपने सोचा है इसे देश में कहाँ और क्यों निभाया जाता है?
खासकर ये परंपरा बुंदेलखंड और गुजरात में निभाई जाती है. यहाँ रावण दहन के बाद पान और जलेबी खाना शुभ माना जाता है.
बुंदेलखंड में रावण दहन के बाद अतिथियों का स्वागत पान खिलाकर किया जाता है. पान को स्वास्थ्य, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
वहीं गुजरात में रावण दहन के बाद जलेबी जरूर खाई जाती है. माना जाता है कि जलेबी खाने से जीवन की कठिनाइयों पर विजय मिलती है और खुशहाली बनी रहती है.
इसके अलावा कई क्षेत्रों में खीर और घेवर भी खाया जाता है. इसे त्यौहार की मिठास और बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में खाया जाता है.
इसके अलावा मान्यता है कि रावण को खत्म कर भगवान श्रीराम ने शशकुली नामक मिठाई को खाकर ही जश्न मनाया था. आज इसे ही जलेबी के नाम से जाना जाता है.
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