शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. ये केवल एक त्योहार नहीं है बल्कि इसका धार्मिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्व है.
कोजागरी का अर्थ है कौन जाग रहा है? क्योंकि इस रात मां लक्ष्मी अपने भक्तों के जागरण की परीक्षा लेती हैं.
साथ ही इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. इस समय चंद्रमा की चांदनी को अमृतमयी माना जाता है.
इसके अलावा शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह भी एक वजह है कि शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी को खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. इस साल 6 अक्टूबर को शारदीय पूर्णिमा है.
पद्म पुराण और स्कंद पुराण में शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने और देवी-देवताओं को अर्पित करने का उल्लेख है. खीर को शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है.
इसे अर्पित करने से संपूर्ण परिवार में सुख-समृद्धि का संचार होता है. खीर में दूध और चावल के मिश्रण को अन्न और पोषण का प्रतीक माना गया है.
शास्त्रों में कहा गया है कि जो भक्त सादगी और श्रद्धा से खीर बनाकर चंद्रमा या देवी को अर्पित करता है, उसे आध्यात्मिक शांति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है.
इसलिए इस शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और चंद्र देव को खीर का भोग जरूर लगाएं.