2500 साल पुरानी अजंता-एलोरा गुफाएं. चट्टानों को काटकर बनाई गई ये अद्भुत कारीगरी. हर दीवार पर इतिहास की एक कहानी छिपी है..
गुफाएं सिर्फ मंदिर नहीं, एक जीवंत चित्रशाला हैं. बुद्ध, हिन्दू और जैन धर्म की एकता का प्रतीक. हर मूर्ति और चित्र में छिपा है कोई रहस्य.
एलोरा की गुफा संख्या 16 – कैलाश मंदिर, पूरी तरह एक ही चट्टान से बना है ये चमत्कार. इसे बनने में लगे थे हजारों मजदूर और सालों का समय.
अजंता की दीवारों पर हैं बौद्ध जीवन की झलकियाँ. चित्रकारी इतनी जीवंत कि जैसे दृश्य जीवित हो. यह कला 5वीं से 7वीं सदी की मानी जाती है.
इन गुफाओं में आधुनिक औज़ारों का कोई इस्तेमाल नहीं. फिर भी नक्काशी ऐसी कि आज भी वैज्ञानिक हैरान. कई रहस्य आज तक नहीं सुलझ सके.
गुफाएं शांति, ध्यान और साधना का केंद्र रहीं. मौन साधकों ने इन्हें अपनी साधना स्थली बनाया. आज भी वहां एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होती है.
गुफाओं के भीतर ध्वनि की अद्भुत व्यवस्था. बिना किसी तकनीक के बनी ये ऑडिटोरियम जैसी संरचनाएं. ध्वनि हर कोने तक समान रूप से पहुंचती है.
अजंता-एलोरा UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट हैं. हर साल लाखों सैलानी खिंचे चले आते हैं. यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर का गौरव हैं.
इन गुफाओं में मिले हैं प्राचीन लिपियों के प्रमाण. ब्राह्मी और संस्कृत में लिखे अभिलेख इतिहास को जोड़ते हैं. हर लेख में छुपा है समय का संदेश.
इतिहास, धर्म और कला का अनोखा संगम. अजंता-एलोरा भारत की आत्मा को दर्शाती हैं. इनकी भव्यता हर आंख को चकित कर देती है.
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