दिल्ली से सिर्फ 390 किमी दूर, उत्तराखंड की गोद में बसा है देघाट, एक ऐसी जगह, जो मैप से नहीं, दिल से मिलती है...
दिल्ली से सिर्फ 390 किमी दूर, उत्तराखंड की गोद में बसा है देघाट, एक ऐसी जगह, जो मैप से नहीं, दिल से मिलती है...
देघाट – एक अनछुआ, शांत पहाड़ी कस्बा, जहां न शोर है, न भीड़, बस है सुकून और प्रकृति का जादू.
देघाट – एक अनछुआ, शांत पहाड़ी कस्बा, जहां न शोर है, न भीड़, बस है सुकून और प्रकृति का जादू.
रामगंगा नदी की कलकल धारा, हरियाली से ढकी घाटियां और वो ताज़गी, जो आत्मा को सुकून दे.
रामगंगा नदी की कलकल धारा, हरियाली से ढकी घाटियां और वो ताज़गी, जो आत्मा को सुकून दे.
यहां सूरज उगता है कोहरे के साथ, और डूबता है सुनहरी शांति में. हर शाम बन जाती है यादगार.
यहां सूरज उगता है कोहरे के साथ, और डूबता है सुनहरी शांति में. हर शाम बन जाती है यादगार.
देघाट को जानने वाले कम हैं, क्योंकि यह किसी टूरिस्ट मैप का हिस्सा नहीं, पर यहां की हवा में जादू है.
लोकल लाइफ, देसी खाना और पहाड़ों का अपनापन. हर ट्रैवलर को यहां फिर से लौट आने को मजबूर कर दे.
न कोई लग्ज़री होटल, न भीड़भाड़, सिर्फ होमस्टे और गर्मजोशी से भरे लोग, जो इस जन्नत को घर जैसा बना देते हैं.
देघाट उन लोगों के लिए है, जो ‘भीड़ से दूर, दिल के पास’ को सच में जीना चाहते हैं.
तो अगली बार जब प्लान बनाओ, तो मैप से नहीं, मन से चुनो मंज़िल. देघाट तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है…