AI यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लेकर लोग बहुत कुछ सोचते हैं. लेकिन क्या वो सब सच है? आज हम 5 सबसे आम भ्रांतियों का सच जानेंगे...
AI इंसानों की तरह सोचता है : लोग मानते हैं कि AI इंसानों की तरह सोचता है. सच ये है कि AI केवल डेटा के आधार पर काम करता है. उसके पास भावना, समझ और नैतिकता नहीं होती. AI सिर्फ गणना करता है, विचार नहीं.
AI सब कुछ कर सकता है : AI की क्षमताएं सीमित हैं. वो वही करता है जो उसे सिखाया गया है. नई परिस्थितियों में वो गड़बड़ कर सकता है. AI सार्वभौमिक नहीं है — इंसानी दिमाग से बहुत पीछे है.
AI आपकी नौकरी छीन लेगा : AI कुछ कामों को ऑटोमेट जरूर करेगा. लेकिन इसके साथ नए काम और भूमिकाएं भी बनेंगी. AI इंसानों की मदद करने वाला टूल है, प्रतिस्थापन नहीं. स्किल्स बदलें, डर नहीं.
AI हमेशा सटीक होता है : लोग मानते हैं कि AI कभी गलती नहीं करता. सच ये है कि AI में बायस (भेदभाव) और एरर संभव हैं. गलत डेटा या निर्देश मिलने पर AI गलत निर्णय ले सकता है. इसलिए इंसानी निगरानी जरूरी है.
AI को कंट्रोल करना आसान है : AI सिस्टम जटिल और शक्तिशाली होते जा रहे हैं. हर बार उनका व्यवहार पूरी तरह से अनुमानित नहीं होता. गलत उपयोग से नुकसान भी हो सकता है. इसलिए एथिकल और कानूनी नियंत्रण बेहद जरूरी है.
AI एक ज़बरदस्त तकनीक है, लेकिन इसे सही समझना ज़रूरी है. गलतफहमियाँ हटाकर हम इसे ज़िम्मेदारी से इस्तेमाल कर सकते हैं.
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