रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कैसे हुई? उज्जैन के विद्वान पंडितों की मान्यता पर आधारित. पौराणिक कथाओं और धर्मग्रंथों से जुड़ी राखी की असली कहानी.
महाभारत में द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा : कृष्ण के हाथ में चोट लगी तो द्रौपदी ने साड़ी फाड़कर बांधा. बदले में श्रीकृष्ण ने जीवनभर रक्षा का वचन दिया.
राजनीतिक संदर्भ - रानी कर्णावती और हुमायूं : 1535 में चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी. हुमायूं ने उसे बहन मानकर उसकी रक्षा को युद्ध किया.
रक्षा सूत्र और वेदों का संबंध : अथर्ववेद में 'रक्षासूत्र' की महत्ता बताई गई है. पंडित रक्षा-सूत्र बांधते समय मंत्र पढ़ते हैं: "येन बद्धो बलिराजा..."
उज्जैन के पंडित क्या बताते हैं? श्रावण पूर्णिमा को रक्षा-संस्कार, यज्ञोपवीत और वेदारंभ होता है. इसी दिन रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा सबसे शुभ मानी जाती है.
राखी सिर्फ भाई-बहन का त्योहार नहीं : प्राचीन भारत में गुरुओं, राजाओं और ब्राह्मणों को भी राखी बांधी जाती थी. यह सुरक्षा, सम्मान और समर्पण का प्रतीक रहा है.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व : रक्षाबंधन सामाजिक एकता और कर्तव्य बोध का उत्सव है. यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है, आज भी उतनी ही प्रासंगिक.
राखी में छिपा है वेदों, पुराणों और प्रेम का सूत्र. यह एक धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत है. हर धागा जुड़ा है किसी पवित्र संकल्प और रक्षावचन से.
Download App