आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर पड़ने वाली कालाष्टमी 18 जून यानी आज मनाई जा रही है. कालाष्टमी को भगवान काल भैरव की पूजा के लिए सबसे ख़ास दिन माना जाता है.
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर पड़ने वाली कालाष्टमी 18 जून यानी आज मनाई जा रही है. कालाष्टमी को भगवान काल भैरव की पूजा के लिए सबसे ख़ास दिन माना जाता है.
कालाष्टमी हर महीने की अष्टमी तिखि को मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवन की नकारात्मकता से मुक्ति मिल जाती है.
कालाष्टमी हर महीने की अष्टमी तिखि को मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवन की नकारात्मकता से मुक्ति मिल जाती है.
शुभ मुहूर्त: आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 जून यानी आज दोपहर 1 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 19 जून यानी कल सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर होगा.
शुभ मुहूर्त: आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 जून यानी आज दोपहर 1 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 19 जून यानी कल सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर होगा.
पूजन विधि- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, फिर एक लकड़ी का पटरा लें और उस पर भगवान काल भैरव की मूर्ति स्थापित करें. फूल चढ़ाएं, सरसों के तेल का दीया जलाएं और अगरबत्ती जलाएं. विशेष प्रसाद चढ़ाकर काल भैरव अष्टकम का पाठ करें और भैरव मंत्रों का जाप करें.
पूजन विधि- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, फिर एक लकड़ी का पटरा लें और उस पर भगवान काल भैरव की मूर्ति स्थापित करें. फूल चढ़ाएं, सरसों के तेल का दीया जलाएं और अगरबत्ती जलाएं. विशेष प्रसाद चढ़ाकर काल भैरव अष्टकम का पाठ करें और भैरव मंत्रों का जाप करें.
शाम की पूजन विधि- रात में जागकर भजन जरूर करें, शाम के समय दोबारा भगवान भैरव को काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाएं. शाम को लोग सात्विक घर की बनी मिठाई खाकर अपना व्रत खोल सकते हैं.
महत्व- कालाष्टमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है. भगवान काल भैरव को समर्पित इस पवित्र अवसर पर सुबह से शाम तक उपवास कर पूजा-अर्चना करते हैं.
कालाष्टमी के दिन पूजा कर भक्त बाधाओं को दूर और चिंताओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं. भैरव को काल के रक्षक के रूप में देखा जाता है और उन्हें शिव का एक रूप माना जाता है, जो आठ दिशाओं की देख रेख करते हैं.