12 योतिर्लिंगों में से एक मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर महादेव की अपनी अलग और भव्य मान्यता है. मंदिर अपनी भस्म आरती के लिए बहुत प्रसिद्ध है.
इस आरती में महादेव की मूर्ति पर पवित्र भस्म लगाई जाती है. इस मंदिर में भस्म आरती आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से की जा रही है. ये एक खास तरह की पूजा है, जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बहुत आकर्षित करती है.
भस्म आरती को लेकर ऐसी भी मान्यता है कि महाकाल बाबा की श्रृंगार या आरती श्मशान से आने वाली भस्म से होती है. लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है, चलिए जानते हैं.
महादेव के सिर्फ इसी ज्योतिर्लिंग में भस्म आरती होती है, जो श्मशान की राख द्वारा बनाई जाती थी. लेकिन, अब मंदिर के पुजारी इस बात को खारिज करते हैं. अब श्रृंगार की भस्म चंदन और गाय के गोबर से तैयार की जाती है.
महाकाल पर चढ़ने वाली पवित्र भस्म कपिला गाय के गोबर से बने कंडों, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलताश और बेर के वृक्ष की लकड़ियों को एक साथ जलाकर तैयार होती है. फिर इसी भस्म से महादेव की आरती होती है.
भस्म आरती की प्रक्रिया करीब दो घंटे चलती है. इस दौरान वैदिक मंत्रों का उच्चारण होता है जो आरती को और भी अधिक पावन बनाते हैं. साथ ही, भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल की उपासना के साथ उनका श्रृंगार भी किया जाता है.