कभी खिड़की से बाहर झांककर देखा है पहाड़ों को पास से गुजरते हुए? कभी बादलों को ट्रेन के साथ दौड़ते देखा है? भारत की कुछ ट्रेन यात्राएं ऐसी हैं जो केवल ट्रैवल नहीं, एक जादुई अनुभव हैं...
कभी खिड़की से बाहर झांककर देखा है पहाड़ों को पास से गुजरते हुए? कभी बादलों को ट्रेन के साथ दौड़ते देखा है? भारत की कुछ ट्रेन यात्राएं ऐसी हैं जो केवल ट्रैवल नहीं, एक जादुई अनुभव हैं...
कालका–शिमला रेलवे : ब्रिटिश काल में बनी ये हेरिटेज ट्रेन आपको बादलों और पहाड़ियों के बीच से ले जाती है. 102 सुरंगों और 864 पुलों वाला ये रूट हर फोटो लायक है. खिड़की से दिखते देवदार के पेड़ और ठंडी हवा रोमांच बढ़ा देती है.
कालका–शिमला रेलवे : ब्रिटिश काल में बनी ये हेरिटेज ट्रेन आपको बादलों और पहाड़ियों के बीच से ले जाती है. 102 सुरंगों और 864 पुलों वाला ये रूट हर फोटो लायक है. खिड़की से दिखते देवदार के पेड़ और ठंडी हवा रोमांच बढ़ा देती है.
नीलगिरी माउंटेन रेलवे : तमिलनाडु की वादियों में चलने वाली ये टॉय ट्रेन वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. ऊटी जाते समय घने जंगल, झरने और घाटियों का जादू देखने को मिलता है. स्टीम इंजन की आवाज़ और हर मोड़ पर बदलता नज़ारा मन मोह लेता है.
नीलगिरी माउंटेन रेलवे : तमिलनाडु की वादियों में चलने वाली ये टॉय ट्रेन वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. ऊटी जाते समय घने जंगल, झरने और घाटियों का जादू देखने को मिलता है. स्टीम इंजन की आवाज़ और हर मोड़ पर बदलता नज़ारा मन मोह लेता है.
कोकण रेलवे : एक ओर अरब सागर ,  दूसरी ओर सह्याद्री की पहाड़ियाँ - नज़ारे ही नज़ारे! पाम के पेड़, नदी के पुल और मॉनसून में हरियाली का अलग ही जादू होता है. गुज़रते वक्त आपको लगेगा जैसे नेचर की गैलरी में बैठे हैं. ये सफर गोवा से मंगळूर तक चलता है.
कोकण रेलवे : एक ओर अरब सागर , दूसरी ओर सह्याद्री की पहाड़ियाँ - नज़ारे ही नज़ारे! पाम के पेड़, नदी के पुल और मॉनसून में हरियाली का अलग ही जादू होता है. गुज़रते वक्त आपको लगेगा जैसे नेचर की गैलरी में बैठे हैं. ये सफर गोवा से मंगळूर तक चलता है.
डार्जिलिंग हिमालयन रेलवे : ‘टॉय ट्रेन’ नाम से मशहूर ये रूट आपको वाकई बचपन में लौटा देता है. खासकर जब ट्रेन बर्फीली वादियों से होती हुई टाइगर हिल तक पहुंचती है. छोटे स्टेशन, हिल-टॉप व्यू और चाय के बागान नज़रों को सुकून देते हैं.
जम्मू–ऊधमपुर रेलवे : ये ट्रेन जम्मू के ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों से होकर गुजरती है. हर सुरंग के बाद एक नया नज़ारा, और हर पुल पर रोमांच महसूस होता है. बर्फ से ढकी चोटियाँ इस यात्रा को जादुई बना देती हैं.
मेट्टुपालयम–ऊटी टॉय ट्रेन : घूमते पहाड़, गहरी घाटियाँ और हरे-भरे जंगल - यह ट्रेन तमिलनाडु की शान है. 40 किलोमीटर के सफर में 200 से ज्यादा घुमाव और कई पुल आते हैं. यहां से गुजरते समय ऐसा लगता है जैसे ट्रेन हवा में तैर रही हो.
हिमालयन क्वीन : दिल्ली से शुरू होकर ये ट्रेन आपको पहाड़ों की गोद में ले जाती है. सफर शहरी दुनिया से निकलकर प्रकृति की शांति तक पहुंचने जैसा है. हर स्टेशन पर चाय, पहाड़, और ठंडी हवा आपका स्वागत करती है.
रेल की खिड़की से भारत को देखने का मज़ा ही कुछ और है. अगली छुट्टियों में इनमें से कोई एक जरूर ट्राय करें - सफर आपको बदल देगा.