इतिहास की शुरुआत : गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण 1911 में शुरू हुआ था. यह महाराजा जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी के स्वागत के लिए बनाया गया. 1924 में इसका निर्माण पूरा हुआ.
ब्रिटिश युग की निशानी : यह ब्रिटिश राज की वास्तुकला का प्रतीक है. 1948 में ब्रिटिश सेना ने यहीं से भारत छोड़ा था. यह स्वतंत्रता से जुड़ी ऐतिहासिक जगह है.
वास्तुकला का अनोखा मेल : इसमें हिन्दू और इस्लामिक शैली का सुंदर मिश्रण है. इसके मेहराब मुस्लिम डिज़ाइन से प्रेरित हैं. तो वहीं सजावट भारतीय शैली की है.
शिल्प और निर्माण : डिज़ाइन जॉर्ज विट्टल्स द्वारा किया गया था. इसकी ऊंचाई लगभग 26 मीटर है. इसमें पीले बेसाल्ट पत्थर का उपयोग हुआ है.
समुद्री द्वार का महत्व : यह मुंबई का समुद्री प्रवेश द्वार था. समंदर से आने वालों का पहला स्वागत यहीं होता था. आज भी यहां से फेरी सेवाएं चलती हैं.
पर्यटन का केंद्र : गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई का सबसे लोकप्रिय स्थल है. यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं. बोट राइड्स, सेल्फी और स्ट्रीट फूड सब यहां मिलता है.
फिल्मों और मीडिया में दिखावट : कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग यहीं हुई है. यह मुंबई की पहचान का एक अहम हिस्सा बन गया है. रात की रोशनी में यह और भी खूबसूरत दिखता है.
बगल में ताज होटल : गेटवे के सामने स्थित है ताज महल पैलेस होटल. दोनों मिलकर मुंबई की खूबसूरती बढ़ाते हैं. यह इलाका मुंबई की रॉयल विरासत को दर्शाता है.
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व : यह केवल एक इमारत नहीं, एक भावनात्मक प्रतीक है. यहां कई प्रदर्शन, विरोध और सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं. मुंबईकरों के लिए यह गर्व का स्थान है.
आज का गेटवे : अब यह सिर्फ इतिहास नहीं, एक जीवंत पर्यटन स्थल है. यह मुंबई आने वालों के लिए ‘पहला स्टॉप’ बन चुका है. गेटवे ऑफ इंडिया, सच में – भारत की शान है.
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