यदि आप भीड़-भाड़ से दूर, असली और अनछुए कश्मीर को जानना चाहते हैं, तो ये 5 सीमावर्ती गाँव आपको अवश्य देखने चाहिए. ये गाँव न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं, बल्कि भारतीय सीमा की गौरवशाली गाथा भी सुनाते हैं.
कश्मीर को धरती का स्वर्ग यूं ही नहीं कहा जाता. यहाँ की हर घाटी, हर नदी, और हर गाँव में एक अलग तरह की सुंदरता और शांति छिपी होती है. लेकिन जो गाँव सरहदों के करीब बसे हैं, वहाँ का अनुभव कुछ और ही होता है — वहाँ केवल प्रकृति ही नहीं, संस्कृति, सादगी और वीरता की झलक भी देखने को मिलती है.
तिथवाल, कुपवाड़ा जिला नियंत्रण रेखा के बेहद करीब बसा यह गाँव किशनगंगा नदी के किनारे स्थित है. यहाँ की खासियत है शारदा पीठ का रास्ता, जो एक समय में भारतीय श्रद्धालुओं के लिए खुला था. गाँव में अब भी बहुत शांति है और वहाँ का स्थानीय जीवन बेहद सादा व सुंदर है. यहाँ से आप नदी पार करके पाक-अधिकृत कश्मीर की सीमा को देख सकते हैं.
करनाह, तंगधार सेक्टर करनाह घाटी तक पहुंचने का रास्ता खुद में रोमांच है. पहाड़ों को काट कर बनाई गई सड़कें, गहरी घाटियाँ और ऊपर से गिरती बर्फ इस गाँव को जादुई बना देती हैं. यहाँ का जीवन कठिन है, लेकिन लोगों का दिल बहुत बड़ा है. गर्मियों में यहाँ की हरियाली और सेब के बागान देखने लायक होते हैं.
गुरेज़ घाटी, बांदीपोरा गुरेज़ आज भी कश्मीर का छिपा हुआ रत्न है. यहाँ का हब्बा खातून पीक और किशनगंगा नदी का बहाव यात्रियों को सम्मोहित कर देता है. यहाँ के लोग दार्दी जनजाति से हैं और उनकी संस्कृति में आज भी पुरानी परंपराएं जीवित हैं. सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहाँ विशेष अनुमति की ज़रूरत होती है, लेकिन जब आप वहाँ पहुँचते हैं, तो हर बाधा सार्थक लगती है.
मचिल, कुपवाड़ा जिला एक सीमावर्ती और दुर्गम गाँव जो सर्दियों में पूरी तरह कट जाता है. लेकिन गर्मियों में यह जगह एक परी कथा सी लगती है. ऊँचे पहाड़, फूलों से भरे मैदान और पहाड़ी नदियाँ इसे बेहद खास बनाती हैं. यहाँ का स्थानीय जीवन शहरी भागदौड़ से एकदम विपरीत है.
उरी , बारामुला जिला मे स्थित उरी का नाम हम अक्सर समाचारों में सुरक्षा की दृष्टि से सुनते हैं, लेकिन यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर और ऐतिहासिक है. यहाँ से झेलम नदी बहती है और पाकिस्तानी सीमा ज्यादा दूर नहीं है. यहाँ का स्थानीय बाज़ार, वास्तुकला और फौजी जीवन एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है.
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