दुनियाभर में चल रहें संघर्ष के बीच अब कंबोडिया और थाईलैंड भी एक दूसरे के आमने-सामने हैं. वजह है एक शिव मंदिर, जिसका नाम प्रीह विहियर है.
इसका निर्माण खमेर साम्राज्य के द्वारा 11वीं सदी में हुआ. कंबोडियाई लोग आज भी खुद को खमेर का वंशज मानते हैं.
आज से 500-600 साल पहले दोनों ही देशों पर हिंदू धर्म को मानने वाले खमेर साम्राज्य का शासन था. राजाओं ने थाईलैंड(सियाम) समेत दक्षिण पूर्व एशिया में प्रीह विहियर मंदिर का निर्माण कराया.
खमेर साम्राज्य का पतन 1431 में शुरू हुआ. 1794 तक, एक बेहद कमज़ोर खमेर सम्राट ने उत्तर-पश्चिमी प्रांतों पर सियाम को नियंत्रण सौंप दिया. इस तरह प्रीह विहियर भी थाईलैंड के नियंत्रण में चला गया.
जब कम्बोडियाई राजकुमार सिहानोक ने 1963 में मंदिर को अपने कब्जे में लेने के लिए एक समारोह में घोषणा की कि थाई लोग बिना वीजा के मंदिर में जा सकते हैं.
1963 के बाद कई सालों तक प्रीह विहियर प्रतिबंधित क्षेत्र था. क्योंकि खमेर रूज गुरिल्ला और अन्य सेनाएं ने इस क्षेत्र में भारी मात्रा में बारूदी सुरंगें बिछाई थीं.
1990 के अंत में यह स्थल पर्यटकों के खुला. 2008 में ये विवाद फिर से उभरा. UNESCO से कंबोडिया ने मंदिर को विश्व धरोहर स्थल के रूप में पंजीकृत करने की मांग की.
UNESCO ने मंदिर को संरक्षित लिस्ट में शामिल किया तो थाईलैंड ने इसका विरोध शुरू कर दिया. 2008 से 2011 तक दोनों देशों के बीच कई बार झड़प हुई.
थाई सेना ने मंदिर के आसपास के जमीन कब्जा कर लिया है और कई बंकर भी बना लिए हैं. कंबोडिया और थाईलैंड इस मंदिर और इसके जमीन को लेकर विवाद में फंसा हुआ है.