भारतीय रसोई में मूंग दाल का एक खास दर्जा है. चाहे खिचड़ी हो, दाल-चावल या फिर कोई हेल्दी स्नैक, यह दाल हर रूप में फिट बैठती है.
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पौष्टिकता से भरपूर मूंग दाल के फायदों को आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं.
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आयुर्वेद के अनुसार, मूंग दाल 'त्रिदोष नाशक' मानी जाती है, यानी यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करने की क्षमता रखती है.
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मूंग दाल हल्की होती है, जब पेट गड़बड़ हो या डाइजेशन कमजोर हो, तब मूंग दाल की खिचड़ी एक तरह से औषधि बन जाती है.
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मूंग दाल में प्रोटीन भरपूर और फैट बहुत कम होता है. यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा घटता है.
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मूंग दाल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इस वजह से ये डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बेहतर विकल्प बन जाती है.
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मूंग दाल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन्स इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करते हैं.
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विटामिन सी, ई और फोलिक एसिड जैसी चीजें इसमें पाई जाती हैं, जो त्वचा को चमकदार बनाती हैं और बालों को झड़ने से रोकने में सहायक होती हैं.
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मूंग दाल में फाइबर होता है, जो पाचन के लिए अच्छा है, लेकिन अगर कोई एक बार में ज्यादा मात्रा में इसे खा ले तो गैस बनने लगती है.
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कुछ लोगों को इससे ब्लोटिंग यानी पेट फूला हुआ महसूस हो सकता है. ऐसे में दाल सही मात्रा में खाना बेहद जरूरी है.
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