फैटी लिवर आम लेकिन एक गंभीर समस्या है. शुरुआत में यह दर्द नहीं देता, इसलिए लोग इसे अनदेखा कर देते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यकृत की अग्नि और क्षमता कमजोर होने लगती है. थकान, पेट में भारीपन, अपच, मितली और मन बोझिल महसूस होना इसके शुरुआती संकेत हैं.
आयुर्वेद में यकृत पित्त का मुख्य स्थान है. जब पित्त असंतुलित हो जाता है, कफ बढ़ जाता है और अग्नि मंद पड़ जाती है, तो मेद धातु सही तरीके से पच नहीं पाती और चरबी यकृत में जमा होने लगती है.
फैटी लिवर के मुख्य कारणों में तला-भुना, मीठा, मैदा, जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, देर रात भोजन, तनाव, कम नींद, व्यायाम की कमी, पेट और शरीर पर चर्बी, मोटापा और शराब शामिल हैं.
इसके लक्षणों की बात करें, तो दाईं तरफ पेट में भारीपन, गैस, अपच, मितली, भूख में बदलाव, थकान, सुस्ती, सुबह पेट भारी होना, जीभ पर सफेद परत और पेट पर चर्बी दिखाई देती है.
इससे बचने के लिए अनहेल्दी फूड, देर रात भोजन और शराब से परहेज करना चाहिए. हल्का, गरम और पचने में आसान भोजन लेना चाहिए जैसे मूंग दाल, लौकी, तोरी, परवल, पालक, हल्दी-जीरा-धनिया-सौंफ, छाछ और भुना जीरा. पपीता, सेब और गुनगुना पानी भी लाभदायक हैं.
योग और हल्की कसरत भी जरूरी हैं. सुबह धूप में 15 मिनट बैठना, भोजन के बाद वज्रासन, अनुलोम-विलोम और 4-6 सूर्य नमस्कार. रात जल्दी सोना भी आवश्यक है.
आयुर्वेदिक औषधियों में भूमि आमला रस, कलमेघ चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, पुनर्नवा चूर्ण और एलोवेरा रस लाभदायक हैं, लेकिन किसी भी दवा का उपयोग योग्य वैद्य की सलाह से ही करना चाहिए.
कुछ आसान घरेलू नुस्खे भी हैं, जैसे जीरा-धनिया-सौंफ का पानी, लौकी सूप, नींबू जल, अलसी के बीज, अदरक रस और हल्दी. ये पाचन सुधारते हैं, यकृत पर भार कम करते हैं और सूजन घटाते हैं.
याद रखें, फैटी लिवर एक चेतावनी है कि जीवनशैली सुधारें. रोजाना छोटे बदलाव ही सबसे बड़ी औषधि हैं. हल्का भोजन, पर्याप्त पानी, सही नींद, हल्की कसरत और मानसिक शांति यकृत को स्वस्थ रखते हैं.