90s का टीवी – सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक भावनात्मक जुड़ाव : उस दौर में टीवी एक परिवारिक आयोजन होता था. मोबाइल, इंटरनेट, ओटीटी कुछ भी नहीं था - एक छोटा सा ब्लैक एंड व्हाइट या कलर टीवी ही पूरी दुनिया का दरवाज़ा होता था.
शक्तिमान ( 1997-2005 ) - भारत का पहला सुपरहीरो : मुकेश खन्ना द्वारा निभाया गया यह किरदार बच्चों का हीरो बन गया. रविवार 12 बजे पूरे भारत में सड़कें सूनी हो जाती थीं.
जंगल बुक ( 1993 ) - डीडी नेशनल पर दिखा जापानी ऐनिमेशन : " चड्डी पहन के फूल खिला है " मोगली की कहानी आज भी दिल में बसती है. परिवार एक साथ बैठकर देखता था, हंसी, डर और रोमांच सब होता था.
रामायण और महाभारत ( 1987, 1988-90 ) : धार्मिक भावनाओं से जुड़ा अनुभव. इन धारावाहिकों के प्रसारण के समय घरों में पूजा जैसा माहौल बन जाता था.
मालगुडी डेज़ ( 1986-2006 ) : आर. के. नारायण की कहानियों पर आधारित ये शो एक गाँव की बड़ी दुनिया को दिखाता था.
सूरभि ( 1990-2001 ) - भारत की संस्कृति का दस्तावेज़ : सिद्धार्थ काक और रेनूका शहाणे द्वारा होस्टेड ये शो कला, विरासत, और परंपरा से जोड़ता था.
चित्रहार ( 1980-1990 ) : फिल्मी गीतों का इंतजार हर सप्ताह होता था. पूरा परिवार बैठकर गाने देखता-सुनता था.
हम पांच ( 1995-1999 ) : एक पिता और उसकी पाँच बेटियों की मस्ती भरी कहानी. टीवी पर फैमिली सिटकॉम का बेमिसाल उदाहरण.
केबल टीवी धीरे-धीरे पॉपुलर हो रहा था. केवल एक या दो चैनल आते थे – DD National, DD Metro. हर शो का एक निश्चित समय होता था – मिस किया तो अगला हफ्ता इंतजार!. एड ब्रेक भी एंटरटेनिंग होते थे: Nirma, Rasna, Vicco, Hamara Bajaj
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