7 जुलाई दिन सोमवार को वासुदेव द्वादशी तिथि का व्रत किया जाएगा. हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वासुदेव द्वादशी के रूप में मनाई जाती है.
7 जुलाई दिन सोमवार को वासुदेव द्वादशी तिथि का व्रत किया जाएगा. हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वासुदेव द्वादशी के रूप में मनाई जाती है.
इस साल यह सोमवार को पड़ रहा है, जो इसे और भी सिद्धिदायक बनाता है. इस दिन सूर्योदय सुबह 5:29 बजे और सूर्यास्त शाम 7:23 बजे होगा. राहुकाल सुबह 7:14 से 8:58 तक रहेगा, इस दौरान पूजा से बचना चाहिए.
इस साल यह सोमवार को पड़ रहा है, जो इसे और भी सिद्धिदायक बनाता है. इस दिन सूर्योदय सुबह 5:29 बजे और सूर्यास्त शाम 7:23 बजे होगा. राहुकाल सुबह 7:14 से 8:58 तक रहेगा, इस दौरान पूजा से बचना चाहिए.
महत्व: धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. साथ ही संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
महत्व: धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. साथ ही संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पूजन की विधि: सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान वासुदेव और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराने के बाद लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें.
पूजन की विधि: सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान वासुदेव और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराने के बाद लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें.
शुभ कार्य: गऊदान, अन्नदान, और जल का दान इस दिन बहुत पुण्यकारी है. प्रातःकाल स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें और तुलसी दल सहित विष्णु भगवान को अर्पण करें.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जप करें और इस दिन गाय को हरी घास व गुड़ खिलाना विशेष फलदायक माना गया है. साथ ही रात्रि में तुलसी के समीप दीपक जलाना और भगवत गीता का पाठ करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है.
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