नवरात्रि की शुरुआत मां दुर्गा और महिषासुर के युद्ध की कथा से जुड़ी है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब महिषासुर नामक असुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था.
तब देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव से प्रार्थना की. फिर तीनों देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर मां दुर्गा को प्रकट किया.
मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर के साथ युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर युद्ध पर विजय प्राप्त की.
इस विजय को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है.
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो कि धैर्य, स्थिरता और प्रकृति का प्रतीक है.
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का विशेष महत्व है, जो कि तप, संयम और ज्ञान का प्रतीक है.
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जो कि शांति, साहस और वीरता का प्रतीक है.
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है, जो कि सृष्टि की उत्पत्ति और ऊर्जा का प्रतीक है.
पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो कि करुणा और संरक्षण का प्रतीक है.
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो शक्ति, वीरता और अन्याय के विनाश का प्रतीक है.
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो शक्ति, भय से मुक्ति और अंधकार के नाश के लिए जानी जाती हैं.
आठवें दिन कि जाती है मां महागौरी की पूजा, जिन्हें पवित्रता, शांति और तपस्या के लिए जाना जाता है.
और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. ये सिद्धि, आध्यात्मिक शक्ति और पूर्णता का प्रतीक हैं.
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