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‘बचने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाना गलत’ सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार पर क्यों भड़क गए CJI गवई? जानें मामला

CJI गवई ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार चाहती है इस मामले की सुनवाई उनकी रिटायरमेंट के बाद हो.’

06 Nov, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
11:00 AM )
‘बचने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाना गलत’ सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार पर क्यों भड़क गए CJI गवई? जानें मामला

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बी आर गवई उस वक्त खफा हो गए जब केंद्र सरकार ने एक मामले को बड़ी बेंच में निपटाने की अपील की. सरकार को फटकार लगाते हुए CJI गवई ने कहा कि ऐसा लगता है केंद्र सरकार इस बेंच से ‘बचने के लिए हथकंडे’ अपना रही है.

दरअसल, मामला ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) एक्ट, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं से जुड़ा था. केंद्र सरकार ने इससे जुड़ी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास भेजने की अपील की. जबकि CJI बीआर गवई की बेंच इस मामले के याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलें पहले ही सुन चुकी है. सरकार की ओर से आखिरी समय में की गई इस अपील से CJI भड़क गए और कड़ी फटकार लगा दी. 

CJI ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए क्या कहा?

इस मामले की सुनवाई CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने की थी. जब बड़ी बेंच के पास मामला भेजने की अपील की गई तो मुख्य न्यायधीश ने कहा, उन्हें उम्मीद नहीं थी कि सरकार इस स्तर पर ऐसा अनुरोध करेगी. क्योंकि कोर्ट ने पहले ही मद्रास बार एसोसिएशन समेत याचिकाकर्ताओं की आखिरी दलीलें पूरी कर ली थीं. 

CJI गवई ने कहा, पिछली तारीख पर आपने ये आपत्तियां नहीं उठाईं और व्यक्तिगत आधार पर सुनवाई आगे बढ़ाने की मांग की. आप मेरिट के आधार पर पूरी सुनवाई के बाद ये आपत्तियां नहीं उठा सकते. हमें उम्मीद नहीं है कि केंद्र इस तरह के हथकंडे अपनाएगा. CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, यह कदम इस बेंच से ‘बचने की कोशिश’ लग रहा है. खासकर तब जब 23 नवंबर को चीफ जस्टिस रिटायर होने वाले हैं.

CJI गवई ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार चाहती है इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर को उनकी रिटायरमेंट के बाद हो.’ दरअसल, इस मामले को केंद्र सरकार संविधान पीठ में भेजने की मांग पहले भी कर चुकी है. जिस पर अब CJI नाराज हो गए.

आधी रात की अर्जी पर उठाए सवाल 

CJI गवई ने मामले को संविधान पीठ या बड़ी बेंच में भेजने के लिए आधी रात में आवेदन दाखिल करने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, देर रात हमें एक आवेदन मिलता है कि आप चाहते हैं कि यह मामला एक संविधान पीठ को सौंप दिया जाए. जबकि इस अनुरोध को पहले ही टाला जा चुका था. कोर्ट के साथ ऐसा करना गलत है. CJI गवई ने साफ किया कि वह 7 नवंबर को ही मामले की सुनवाई करना चाहते हैं जबकि वीकेंड के बाद फैसला सुनाने की सोच रहे हैं. 

अटॉर्नी जनरल की गैरहाजिरी पर नाराज हुए CJI 

सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने मामला संविधान पीठ को भेजने की मांग की थी. उन्होंने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के जरिए अपील लगाई. अटॉर्नी जनरल की गैरहाजिरी पर भी CJI ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, हमनें उन्हें (अटॉर्नी जनरल) को तीन बार समय दिया, लेकिन हम सुनते जा रहे हैं कि वे इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में व्यस्त हैं. कोर्ट ने सख्ती से कहा, आपके पास विद्वान ASG की पूरी टीम है. किसी और को इस मामले में बहस करने दीजिए. 

इस पर एश्वर्या भाटी ने कहा कि, अटॉर्नी जनरल निजी तौर पर इस केस को देख रहे हैं, इसपर CJI वाली बेंच ने कहा, 'हाई कोर्ट में यह प्रक्रिया है कि अगर किसी केस में थोड़ी सुनवाई हो चुकी है, वकील को निश्चित तौर पर पहले उसे पूरा करना होगा. यहां हमने इसी तरह के तीन अनुरोधों पर सुनवाई स्थगित की है, लेकिन वह अभी यहां नहीं हैं.’

सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की है. इसके साथ ही CJI गवई ने दो टूक कहा, 'हम कानून के सर्वोच्च पद का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन, जिस तरह से सुनवाई टाली जा रही है वह सही नहीं है.’ उन्होंने ASG एश्वर्या भाटी से साफ कहा, अटॉर्नी जनरल को बता दीजिए कि वह हर हाल में अगली सुनवाई में मौजूद रहें. 

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वहीं, मामले को बड़ी बेंच में भेजे जाने की अपील पर फटकार के बाद ASG ने सरकार के रुख को और क्लियर किया. उन्होंने कहा, सरकार कार्यवाही में देरी नहीं करना चाहती है. उन्होंने कोर्ट में गुहार लगाई कि केस बड़ी बेंच के पास भेजने की अर्जी को गलत न समझा जाए. 

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