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सीधी में बड़ा विवाद: शिवसेना कार्यकर्ताओं ने सिविल सर्जन के चेहरे पर पोती कालिख, वीडियो वायरल

घटना हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित नर्सिंग होम के पास की बताई जा रही है, जहां डॉ. खरे अपने घर से क्लीनिक होते हुए अस्पताल जाने के लिए निकले थे. तभी शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोककर विरोध प्रदर्शन किया और इसी दौरान नेता ने उनके चेहरे पर कालिख पोत दी.

06 Nov, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
10:40 AM )
सीधी में बड़ा विवाद: शिवसेना कार्यकर्ताओं ने सिविल सर्जन के चेहरे पर पोती कालिख, वीडियो वायरल

जिले में सोमवार को स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जब जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन डॉ. एस.बी. खरे के चेहरे पर शिवसेना के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कालिख पोत दी. यह पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

शिवसेना नेता ने सिविल सर्जन के चेहरे पर पोती कालिख

घटना हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी स्थित नर्सिंग होम के पास की बताई जा रही है, जहां डॉ. खरे अपने घर से क्लीनिक होते हुए अस्पताल जाने के लिए निकले थे. तभी शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने उन्हें रोककर विरोध प्रदर्शन किया और इसी दौरान नेता ने उनके चेहरे पर कालिख पोत दी.

शिवसेना नेता ने किया सरेंडर

सूत्रों के अनुसार, शिवसेना के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष ने यह पूरा विरोध प्रदर्शन स्वयं रिकॉर्ड किया और उसके बाद सीधे थाने पहुंचकर सरेंडर कर दिया.

थाने के बाहर मीडिया से बातचीत में मनीष ने कहा, “सिविल सर्जन के खिलाफ हमने पहले भी कलेक्टर को शिकायत दी थी. प्रशासन को अवगत कराया गया था कि हम निजी नर्सिंग होम के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे. हमारा उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं था, यह सिर्फ प्रतीकात्मक विरोध था.”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि घटना के बाद उन्होंने एसपी सीधी संतोष कोरी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन न तो कॉल रिसीव की गई और न ही कोई प्रतिक्रिया मिली.

सिविल सर्जन की शिकायत के आधार पुलिस कर रही है  जांच

इस मामले में डीएसपी अमन मिश्रा ने बताया कि सिविल सर्जन की शिकायत के आधार पर पुलिस जांच कर रही है.

जब मीडिया ने पूछा कि आरोपी नेता ने स्वयं सरेंडर किया या पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो डीएसपी ने कहा “मामले की जांच जारी है, इसलिए अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.”

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बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में अव्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट और निजी नर्सिंग होम पर बढ़ती निर्भरता को लेकर शिवसेना नेता लंबे समय से नाराज थे. कई बार शिकायत किए जाने के बावजूद कार्रवाई न होने से विरोध प्रदर्शन उग्र रूप ले लिया.

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