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वंदे मातरम के सहारे ममता को हराएगी BJP, बना लिया प्लान! क्या बंगाली अस्मिता के मुद्दे पर TMC ने साध ली चुप्पी?

बीजेपी ने ममता बनर्जी को आगामी विधानसभा चुनाव में पटखनी देने का प्लान बना लिया है. बंगाली माटी-मानुष की काट के तौर पर भगवा पार्टी के हाथ बंगाली अस्मिता का एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है. वहीं TMC ने भी इस मुद्दे पर अभी से चुप्पी साध ली है.

Created By: केशव झा
09 Nov, 2025
( Updated: 07 Dec, 2025
03:38 PM )
वंदे मातरम के सहारे ममता को हराएगी BJP, बना लिया प्लान! क्या बंगाली अस्मिता के मुद्दे पर TMC ने साध ली चुप्पी?

बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ वंदे मातरम् विवाद ममता बनर्जी को काफी मुश्किलों में डाल सकता है. मौजूदा समय में ये राष्ट्रगीत महज एक गीत नहीं बल्कि सियासती मुद्दा भी है. अल्पसंख्य समाज के वोट को लेकर हमेशा चौकस रहने वाली TMC इस मुद्दे पर बेहद आक्रमक रुख अपनाती रही है. अब बीजेपी ने इसे और कुरेदने का फैसला कर लिया है. दरअसल राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरा होने के मौके को मोदी सरकार बड़े पैमाने पर सेलिब्रेट करने जा रही है. इसके लिए पूरे देश में कार्यक्रम करने की योजना है. साल भर बड़े आयोजनों की तैयारी है.

इसके तहत बीजेपी अकेले पश्चिम बंगाल में 1100 स्थानों पर राष्ट्रगीत के मूल स्वरू का पाठ करेगी. सामाजिक संगठनों और आम लोगों के साथ मिलकर इसका सामूहिक गान करेगी. आपको बताएं कि मूल पाठ को लेकर ही सारा विवाद है. कांग्रेस पर आरोप लगता है कि उसने मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे झुकते हुए इसके शब्दों और भावनाओं को ही बदल दिया और सेक्युलर बना दिया. 

क्या वंदे मातरम से डरती है TMC!

वहीं टीएमसी कथित तौर पर मुस्लिमों की नाराजगी को लेकर इस मुद्दे को उभरने से भी डरती है. क्योंकि ये एक बंगाली अस्मिता का मुद्दा है. जैसे राष्ट्रगान के लेखक रविंद्रनाथ टैगोर हैं, वहीं राष्ट्रगीत के लेखक एक बंगाली बंकिम चंद्र चटर्जी हैं. ऐेसे में बीजेपी इसे अगर उभारती है तो टीएमसी के लिए उस पर जवाब देना मुश्किल हो जाएगा. इतना ही नहीं मुस्लिम कट्टरपंथी की नाराजगी का भी डर ममता को सता रहा है.

क्या है वंदे मातरम के मूल पाठ को लेकर सारा विवाद!

आपको बता दें कि राष्ट्रगीत के मूल स्वरूप में भारत माता की 'हिंदू देवी' के रूप में प्रार्थना पर मुस्लिम समुदाय ने भारी विरोध काटा था. उनके हो-हल्ले को देखते हुए ही 1937 में कांग्रेस के महाधिवेशन में इन पंक्तियों को हटाने का फैसला ले लिया गया. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर बंगाल में इसके मूल रूप का पाठ होता है तो पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की नाराजगी सामने आ सकती है.

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर बोला हमला

बीजेपी के वंदे मातरम के सामूहिक गान को लेकर प्लान पर TMC ने चुप्पी साध रखी है. वहीं कांग्रेस को भी निशाने पर लिया जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर इसके स्वरूप में छेड़छाड़ करने को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने लिखा, "1937 में, 'वंदे मातरम' के महत्वपूर्ण पदों, उसकी आत्मा के एक हिस्से को अलग कर दिया गया था. 'वंदे मातरम' को तोड़ दिया गया था. इस विभाजन ने, देश के विभाजन के भी बीज बो दिए थे. राष्ट्र-निर्माण के इस महामंत्र के साथ यह अन्याय क्यों हुआ, यह आज की पीढ़ी को जानना जरूरी है. क्योंकि वही विभाजनकारी सोच आज भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है."

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में दिखेगा वंदे मातरम का असर!

अब कहा जा रहा है कि अगर ये विवाद आगे बढ़ता है तो इसका असर आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर देखने को मिल सकता है. आपको बता दें कि अगले साल, यानी कि 2026 में अप्रैल में पश्चिम बंगाल चुनाव होना है. इसी को देखते हुए बीजेपी ने वंदे मातरम् को बंगाली अस्मिता से जोड़ते हुए बड़ी तैयारी शुरू कर दी है.

आपको बता दें कि वंदे मातरम बीजेपी के दक्षिणपंथी राजनीति के साथ-साथ देश की राष्ट्रवादी सोच और बंगाली अस्मिता से जुड़ा मुद्दा है. बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए इस गीत को बाबा रविंद्रनाथ टैगोर ने स्वर दिया था.

वंदे मातरम् न सिर्फ 1905 के बंगाल विभाजन, बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों की सबसे बड़ी आवाज बनकर उभरा था. ऐसे में कहा जा रहा है कि करीब 30% मुस्लिम आबादी वाले पश्चिम बंगाल में वंदे मातरम् एक ऐसा मुद्दा है जिसे पूर्णरूप से स्वीकार करना और खुलकर इसका विरोध करना आसान नहीं होगा. ये ऐसा मुद्दा है जिसे न चबाया जा सकता है और न ही उगला जा सकता है. ऐसे में इसके मूल स्वरूप को पुराने रूप में अंगीकार करना या इनकार करना ममता बनर्जी को भारी पड़ेगा. बीजेपी पहले से ही ताक में बैठी है कि वो ऐसी ही कोई गलती करे, जिसे बंगाली अस्मिता के अपमान से जोड़ा जा सके और हिंदू वोट बैंक को साधा जा सके.

क्या TMC को उखाड़कर फेंक पाएगी बीजेपी!

बंगाल में ममता बनर्जी अब तक बीजेपी की राष्ट्रवादी राजनीति, हिंदुत्व को बंगाली अस्मिता के सहारे अब तक रोकने में सफल रही हैं. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो बीजेपी का बंगाल में वोटबैंक तो जरूर बढ़ा है. 2016 के तीन सीटों की तुलना में 2021 में 77 सीटों को देखें तो ये भी जरूर बढ़ा है, लेकिन इतनी नहीं कि TMC को सत्ता से बाहर किया जा सके. TMC की विधानसभा में 215 सीटें हैं. हां, पिछले लोकसभा में ममता ने बीजेपी के 400 पार के नारे को सबसे बड़ा झटका दिया था.

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बीजेपी के मुकाबले तृणमूल को 43 से 48 फीसद तक वोट मिलता रहा है. ऐसे में वोटों का थोड़ा भी ध्रुवीकरण होता है तो BJP से महज 3-4% वोटों के फासले पर खड़ी TMC का चुनावी गणित बिगड़ सकता है. आपको बताएं कि वंदे मातरम् की काट के तौर पर तृणमूल कांग्रेस ने “बांग्लार माटी, बांग्लार जोल'' गीत का गायन सभी सरकारी और सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों में अनिवार्य कर दिया है. इस गीत को पश्चिम बंगाल में राज्यगीत का दर्जा दिया गया है. वहीं दार्जलिंग के इलाके में इसके विरोध को देखते हुए वहां के स्कूलों को इससे छूट दी गई है.

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